मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल की दो मार्मिक कविताएँ
Onकाँच का घरौंदा तुम सरस थे, सहज थे, कोमल थे। अन्तर्मन में बहने वाले मीठे जलस्रोत थे। मन में उमंग, चाहत जगाने वाले एक सच्चे पथ प्रदर्शक थे। तुम थे विश्वास और आशा की किरण, तुम थे कृत्यों को मूर्त रूप देने…