“गुज़रता है दुनिया से हर कोई लेकिन, कोई क़र्ज़ लेकर,कोई क़र्ज़ देकर”
Onकाव्य की अनेक विधाओं में अपनी कालजयी रचनाओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले डॉ. कुंअर बेचैन जी का हिंदी साहित्य जगत हमेशा ऋणी रहेगा। केवल साहित्यकार ही नहीं बल्कि हर वक्ता,नेता की कथनी और करनी का आंकलन दुनिया वाले करते ही…