अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर इकाई, ग़ाज़ियाबाद का महादेवी सम्मान समारोह और कवयित्री सम्मेलन आयोजित

अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर इकाई, ग़ाज़ियाबाद का महादेवी सम्मान समारोह और कवयित्री सम्मेलन आयोजित

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अनेक हस्तियाँ शामिल हुईं, दो दर्जन से अधिक विभूतियों का हुआ सम्मान ************************************* कानपुर की डॉ. नारायणी शुक्ला महादेवी सम्मान-2022 से सम्मानित ************************************** ग़ाज़ियाबाद। अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर इकाई गाजियाबाद के  तत्वाधान में शम्भु दयाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय में महादेवी सम्मान समारोह…

गांधी जी के हिन्द स्वराज से दूर होगी बेरोजगारी

गांधी जी के हिन्द स्वराज से दूर होगी बेरोजगारी

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दो अक्तूबर गांधी जयंती पर विशेष- लेखक-डॉ. अशोक कुमार गदिया देश की वर्तमान समस्याओं में से ‘बेरोजगारी’ की समस्या सबसे बड़ी समस्या है। देश का हर दूसरा युवा ‘बेरोजगारी’ की समस्या से ग्रसित है। ‘बेरोजगारी’ की समस्या से सरकार, समाज एवं घर-परिवार…

आदर्श गुरु बनें शिक्षक

आदर्श गुरु बनें शिक्षक

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5 सितम्बर शिक्षक दिवस पर विशेष- गुरु और अध्यापक में फर्क यह है कि अध्यापक सिर्फ अध्ययन कराने से जुड़ा है, जबकि गुरु अध्ययन से आगे जाकर जिन्दगी की हकीकत से भी रू-ब-रू कराता है और उससे निपटने के गुर सिखाता है।…

अपने ग़म को आँसुओं की शक्ल देना सीख लो,

अपने ग़म को आँसुओं की शक्ल देना सीख लो,

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ग़ज़ल ****** अपने ग़म को आँसुओं की शक्ल देना सीख लो, आँसुओं को मोतियों की शक्ल देना सीख लो। आपकी बेचैनियों को चैन भी मिल जाएगा, रास्तों को मन्ज़िलों की शक्ल देना सीख लो। मुश्किलें जैसे भँवर हैं, हल हैं साहिल की…

सिर्फ़ प्यार से प्यार की चिट्ठी प्यार के घर तक पहुँचेगी,

सिर्फ़ प्यार से प्यार की चिट्ठी प्यार के घर तक पहुँचेगी,

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ग़ज़ल ****** बस्ती-बस्ती, गलियों-गलियों बारी-बारी नफ़रत के, भेष बदलकर घुस आये हैं अत्याचारी नफ़रत के। प्रेम-सन्देसा बाँच रहे हो मन के पंछी सुन तो लो, बचके रहना घूम रहे हैं बाज़ शिकारी नफ़रत के। खेल-तमाशा दिखा-दिखाकर तुमको बस बहलायेंगे, ये इंसान नहीं…

जरा सा इश्क़ …अपना अपना इश्क़….सबका इश्क़ 

जरा सा इश्क़ …अपना अपना इश्क़….सबका इश्क़ 

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दोस्तो, हमने फूल,पतझड़,बारिश,बादल,कॉफी, चाय,मौसम से बहुत इश्क़ कर लिया। चलिए अब करते हैं जरा सा इश्क़,अपना अपना इश्क़, सबका इश्क़। जरा सा इश्क़ करते हैं चमकी बुखार और ऐसे ही नामालूम कितनी रहस्मयी बीमारियों से मर चुके बच्चों के उन माता-पिता से…

अपने घर में खुशियों को मेहमान बनाये रखना तुम,

अपने घर में खुशियों को मेहमान बनाये रखना तुम,

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ग़ज़ल ***** अपने घर में खुशियों को मेहमान बनाये रखना तुम, लाख मिलें ग़म होंठों पर मुस्कान सजाये रखना तुम।   हँसते ही रहना आँखों में जब तक एक भी आँसू है, यह कोशिश पूरी करने में जान लगाये रखना तुम।  …

अंग्रेजी हुकूमत का झंडा फाड़ने और थाना फूंकने की सज़ा भोगनी पड़ी थी धौलाना के क्रांतिकारियों को

अंग्रेजी हुकूमत का झंडा फाड़ने और थाना फूंकने की सज़ा भोगनी पड़ी थी धौलाना के क्रांतिकारियों को

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आजादी के अमृत महोत्सव पर विशेष लेख- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान फिरंगियों का यूनियन जैक झंडा फाड़ने और सरकारी थाना फूंकने की सज़ा भोगनी पड़ी थी धौलाना कस्बे के क्रांतिकारियों को। गुस्साये फिरंगियों ने 14 क्रांतिकारियों को सरेआम पीपल के पेड़…

हमारी ज़िंदगी में जो तुम्हें दिखते उजाले हैं

हमारी ज़िंदगी में जो तुम्हें दिखते उजाले हैं

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 ग़ज़ल ****** हमारी ज़िंदगी में जो तुम्हें दिखते उजाले हैं, ये हमने रात के आगोश से जगकर निकाले हैं। अगर तुम ध्यान से देखो तो मंज़िल का पता हैं ये, नहीं तो ये महज़ रिसते हुए पाँवों के छाले हैं। तुम्हारे प्यार…

देख न पानी जल जाए

देख न पानी जल जाए

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गीत ***** दसों दिशा में आग लगी, देख न पानी जल जाए। घुट-घुटकर किरदार मरें, और कहानी जल जाए।। सूरज की मारक लपटें, दिन को आज डराती हैं, सागर को उसकी लहरें हरदम आँख दिखाती हैं, ताक न ऐसे भोर मुई, शाम…