अग्निशिखा समान दोलन राय की दो दार्शनिक रचनाएँ

अग्निशिखा समान दोलन राय की दो दार्शनिक रचनाएँ

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1. मैं मंदिर का अहंकारी दीपक नहीं हूँ, जो देव का सहारा लेकर सम्मानित हो जाए। मैं अंधकार मिटाने वाली पथ प्रदर्शक मशाल भी नहीं हूँ, सूर्य के जैसा साफ नहीं है, उतना प्रताप भी नहीं है, मैं जीवन की प्राथमिकता को…

मेवाड़ विवि के कुलाधिपति डाॅ. अशोक कुमार गदिया की संदेशपरक कविता

मेवाड़ विवि के कुलाधिपति डाॅ. अशोक कुमार गदिया की संदेशपरक कविता

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क्या करें क्या न करें देश भक्त बनो, सरकार भक्त न बनो। समाज सेवक बनो, जाति सेवक न बनो। ध्येयनिष्ठ बनो, व्यक्तिनिष्ठ न बनो। भक्त बनो पर, अन्धभक्त न बनो। गुरु कहे जो करो, गुरु करे जो न करो। बुराई से नफरत…

युवा गीतकार  डा. सतीश वर्द्धन, पिलखुवा की दो खूबसूरत रचनाएँ

युवा गीतकार  डा. सतीश वर्द्धन, पिलखुवा की दो खूबसूरत रचनाएँ

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1- गीत के रूप में , गुनगुनी धूप में ,  तेरी यादों को मैं गुनगुनाने लगा । आ रहा ना नजर ,मन के आँगन में पर बांसुरी सी कोई फिर बजाने लगा ।। आगे पीछे तेरे आना जाना मेरा ,नीचे नीचे ही…

सुपरिचित कवियत्री दीपाली जैन ‘ज़िया’ की मनमोहक कविताएँ

सुपरिचित कवियत्री दीपाली जैन ‘ज़िया’ की मनमोहक कविताएँ

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ग़ज़ल ज़िन्दगी छटपटाती रही रात भर मुझसे नज़रें चुराती रही रात भर जिस्म हंसता रहा, खिलखिलाता रहा रूह आंसू बहाती रही रात भर गिर गए हाथ से दाने तस्बीह के मैं ग़ज़ल गुनगुनाती रही रात भर दर पे आंखें बिछी राह तकती…

युवा कवियत्री कंचन अनामिका की दो कवितायें

युवा कवियत्री कंचन अनामिका की दो कवितायें

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1. कभी शमा की तरह रोशन हो जलती है ज़िंदगी। कभी थक कर धीमे से पिघलती है ज़िंदगी। कभी फिरती है सवालों के बोझ लिए हुए, कभी जवाबों को संजोए चलती है जिं़दगी। कभी जोड़ती है मिलकर अजनबियों से नाता, कभी भटककर…

महाकवि डाॅ. कुँअर बेचैन की अमर रचना

महाकवि डाॅ. कुँअर बेचैन की अमर रचना

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चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल चल वहाँ तक जिस जगह मेरी प्रिया गा रही होगी नई ताजा गजल चल हवा, उस ओर मेरे साथ चल। चल जहाँ मेरा अमर विश्वास है आत्माओं में…