कवि कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’ दौसा, राजस्थान की मर्मस्पर्शी रचना ‘माँ’ आपके मन को झंकृत कर देगी-

कवि कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’ दौसा, राजस्थान की मर्मस्पर्शी रचना ‘माँ’ आपके मन को झंकृत कर देगी-

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माँ ज़िंदगी की प्रथम पाठशाला है। माँ संसार की अनुपम कृति है। माँ सात स्वरों का संगम है। माँ नूर नहीं कोहिनूर है। माँ प्रेम से भरपूर है। माँ खुदा का दूजा रूप है। माँ प्यार भरा एक कूप है। माँ ममता…

काव्य गोष्ठी में कवियों ने किया भाव-विभोर

काव्य गोष्ठी में कवियों ने किया भाव-विभोर

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गाजियाबाद। अमर भारती साहित्य-संस्कृति संस्थान की नियमित काव्य-गोष्ठी में स्थानीय रचनाकारों के साथ-साथ दूर-दराज से आए कवि-शायरों ने शिरकत की। सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन ललित जयसवाल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। अपने संबोधन में उन्होंने संस्थान द्वारा संचालित की जा रही…

हिन्दी साहित्य में तेज़ी से उभरते गीतकार सतीश बंसल, देहरादून के चर्चित मुक्तक और गीत पढें, मन खुश हो जाएगा

हिन्दी साहित्य में तेज़ी से उभरते गीतकार सतीश बंसल, देहरादून के चर्चित मुक्तक और गीत पढें, मन खुश हो जाएगा

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 मुक्तक नफ़रतों के सभी सिलसिले ख़त्म हों दानवी सोच के हौसले ख़त्म हों ज़िन्दगी के लिये है ज़रूरी बहुत दरमियाँ बढ़ रहे फ़ासले खत्म हों हर तरफ़ नफ़रतों का समाचार क्यूँ बढ़ गया आज इतना अनाचार क्यूँ धर्म के नाम पर जाति…

सुपरिचित कवि रजत तैयबपुरी, आगरा की दो चर्चित कविताएँ

सुपरिचित कवि रजत तैयबपुरी, आगरा की दो चर्चित कविताएँ

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1- लेखनी! उठ जा अरी तू शंख बन जग को जगा दे। मेरी इस भारत धरा को फिर से वृन्दावन बना दे। छाँट दे बादल सभी तू अंधता के घिर रहे जो, प्रीति जनमन रागिनी में पावनी गंगा बहा  दे। खोटी बसी…

बहुमुखी प्रतिभा की धनी डाक्टर माला कपूर की संदेश देती दो कविताएँ

बहुमुखी प्रतिभा की धनी डाक्टर माला कपूर की संदेश देती दो कविताएँ

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1- बचपन बहाया मैंने  कागज़ की कश्तियों में, लड़कपन संभाला था  कलम की बैसाखियों ने । कलम किये कितने कलम प्रगति की राह पर, मानपत्रों की हर कतरन  रखी संभाल कर । प्रकृति का उपभोग किया आँख मूँद कर , क्या घटेगा…

मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल की दो मार्मिक कविताएँ

मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल की दो मार्मिक कविताएँ

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काँच का घरौंदा तुम सरस थे, सहज थे, कोमल थे।  अन्तर्मन में बहने वाले मीठे जलस्रोत थे। मन में उमंग,  चाहत जगाने वाले  एक सच्चे पथ प्रदर्शक थे।  तुम थे विश्वास और आशा की किरण,  तुम थे कृत्यों को मूर्त रूप देने…

सुपरिचित विचारवान कवयित्री कल्पना कौशिक की दो कविताएँ

सुपरिचित विचारवान कवयित्री कल्पना कौशिक की दो कविताएँ

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1. आत्मा कट गई दर्द है पीर है। भाव कुचले गए हाल गम्भीर है। किस तरह से बचाएं सुकूं जिन्दगी हाथ में सबके ही आज शमशीर है। बाग में बागवां से कली डर रही हर तरह है तेजाबी हवा चल रही कृष्ण…

सुपरिचित कवयित्री इंदु शर्मा की दो मधुर कविताएँ

सुपरिचित कवयित्री इंदु शर्मा की दो मधुर कविताएँ

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1. बलिदानियों के टूटे जा रहे सपन ,खुशियाँ सभी की आज हो गई ं दफन। कहाँ जाके शिकवा शिकायत करें,माली जो बनाया वही रोंदता चमन। आज राजनीति का चलन देखिए, चारों ओर घोटाले गबन देखिए। कुर्सियों की लगने लगीं हैं बोलियाँ, चारों…

वैचारिक शिखर के धारदार कवि अमिताभ ‘अशेष’ मेरठ की तेवर वाली कविताएँ

वैचारिक शिखर के धारदार कवि अमिताभ ‘अशेष’ मेरठ की तेवर वाली कविताएँ

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1- झील में तुम ताल में तुम, हर घड़ी हर हाल में तुम  तुम ही जड़ में चेतना में, तुम हृदय की वेदना में  भूख सी तुम प्यास से तुम, एक मिलन की आस से तुम तुम जमीं आकाश तुम हो, तुम…

सुप्रसिद्ध कवयित्री प्रगति गुप्ता, जोधपुर की दो मार्मिक कविताएँ

सुप्रसिद्ध कवयित्री प्रगति गुप्ता, जोधपुर की दो मार्मिक कविताएँ

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1-बेटियाँ कभी बङे़ जूते पहन तो कभी – बड़ी बिन्दिया लगा साङी पहन, तो कभी – चूङि़याँ सजा बड़े होने के सपने, देखा करती थी मैं… माँ मेरी हरकतों को देख रीझती थी मुझ पर… जाने क्यों अक्सर हँसते-हँसते रोती थी मुझ…