हर साल मिलेगा एक साहित्यकार को महाकवि डाॅ. कुँअर बेचैन साहित्य शिखर सम्मान

हर साल मिलेगा एक साहित्यकार को महाकवि डाॅ. कुँअर बेचैन साहित्य शिखर सम्मान

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अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गाजियाबाद ने किया ऐलान गाजियाबाद। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गाजियाबाद एवं बार एसोसिएशन गाजियाबाद के संयुक्त तत्वावधान में महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन के ७७वें जन्मोत्सव पर ‘एक शाम डाॅ. कुँअर बेचैन के नाम’ से विराट साहित्यिक अनुष्ठान का…

जनचेतना के सुकवि डाॅ. अशोक कुमार गदिया की संदेशपरक कविता

जनचेतना के सुकवि डाॅ. अशोक कुमार गदिया की संदेशपरक कविता

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बदलते परिवेश ज़माना बदल रहा है। जमाने के दस्तूर बदल रहे हैं। मान्यताएँ एवं रीति-रिवाज़ बदल रहे हैं। जीवन मूल्य और कर्तव्य बदल रहे हैं। लेन-देन, व्यापार, व्यवसाय, उद्योग धन्धे बदल रहे हैं। रहन-सहन, खान-पान, खेल-कूद, व्यायाम, आमोद-प्रमोद एवं मनोरंजन के तौर-तरीके…

सुपरिचित कवि डाॅ. राजीव पांडेय की माँ पर लिखी कविता बस पढ़ते रह जाओगे

सुपरिचित कवि डाॅ. राजीव पांडेय की माँ पर लिखी कविता बस पढ़ते रह जाओगे

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माँ मेरे आस पास रोम रोम रोमांचित करता, साँसो का आभास। माँ मेरे आस पास। माँ मेरे आस पास। कृष्ण सरीखा रुप बनाकर, मस्तक काला टीका। नजर टोटके सभी बचाती, सीखा कहाँ  सलीका खुशियों में खेले लाल लड़ैता ,दूर रहें संत्रास। रात…

सुपरिचित कवयित्री शैलजा सिंह, दिल्ली की दो शानदार कविताएँ

सुपरिचित कवयित्री शैलजा सिंह, दिल्ली की दो शानदार कविताएँ

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1-धरती होती बंजर है अब इस बंजर में सपने जलते अपने सारे ख्वाब पिघलते, लोगों की छाया दिखती है पीपल वाले प्रेत में ! गई जवानी सेंत में… दिल्ली में तो रोज दिवाली मगर देश की आंतें खाली अपना खून पसीना रहता…

हम कुँअर के चेले हैं

हम कुँअर के चेले हैं

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  -चेतन आनंद बात उस समय की है जब मैं नवीं कक्षा में पढ़ता था। तब कविता लिखने का जुनून हुआ करता था। मेरा परिचय तब किसी के मार्फत मुरादनगर के हिसाली गाँव निवासी सुकवि दयाशंकर अश्क से हुआ था। बातों बातों…

सुप्रतिष्ठित कवयित्री डाॅ. तारा गुप्ता की दो चर्चित ग़ज़लें

सुप्रतिष्ठित कवयित्री डाॅ. तारा गुप्ता की दो चर्चित ग़ज़लें

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ग़ज़ल-1  मिले तारीफ बस तुमको इसी निष्ठुर जमाने में  रहेगी भूमिका मेरी तुम्हे काबिल बनाने में मुझे  फुर्सत कहाँ बेटी! जिऊँ बचपन तुम्हारा मैं  लगी  हूँ बस  तुम्हारे ही लिये  पैसा कमाने में  सुनो! सोने से पहले आज भी सांकल लगा लेना …

प्रसिद्ध शायर उत्कर्ष ग़ाफिल के दो कोमल गीत

प्रसिद्ध शायर उत्कर्ष ग़ाफिल के दो कोमल गीत

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गीत-1  शब्द यहाँ गीत के  हार गए जीत के भाव सभी मर्म के  सत्य-सुधा-धर्म के  कुंद हुए इस तरह  अर्थ कहीं खो  गए आस गयी आस की   गूँज उठी त्रास की दर्प-दशा  साथ है  दंश सजा माथ है चार दिशा देखिये   …

पढ़िये युवा कवि अरविन्द भट्ट की कविता

पढ़िये युवा कवि अरविन्द भट्ट की कविता

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आना कभी आना कभी मेरे पास यूँ ही टहलते-टहलते बैठना कहीं थोड़ी देर किसी पेड़ की छांव तले. और देखना यत्र तत्र चटकती लकड़ियों के बीच दहकते ज्योतिपुंज को, जली-अधजली लकड़ियों को उनसे उठती धुएं की धुंध को. हो सके तो और…

मकबूल शायर अनिमेष शर्मा की दो शानदार ग़ज़लें

मकबूल शायर अनिमेष शर्मा की दो शानदार ग़ज़लें

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  ग़ज़ल-1 दयार- ए- ऐश  में  जीना   अज़ाब होता है किसी  किसी  का  मुक़द्दर  ख़राब होता है हक़ीक़तों  के  खिलौने  हैं  वक़्त के  प्यादे हसीन ज़ीस्त हो  सबका ही ख़्वाब होता है कुसूरवार  ज़बाँ   को   बता  बता  के  थके सवाल  जैसा  हो …

 एक दृष्टि में समीक्षा-  ‘ मन की पाँखें ‘ : हाइकु संग्रह

 एक दृष्टि में समीक्षा-  ‘ मन की पाँखें ‘ : हाइकु संग्रह

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हाइकुकार:डॉ राजीव कुमार पाण्डेय प्रकाशक-हर्फ मीडिया प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली पृष्ठ-105 मूल्य :175 रुपये डॉ. राजीव कुमार पांडेय जी का हाइकु संग्रह ‘ मन की पाँखें’ देखने पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ . पुस्तक में संग्रहीत सभी हाइकु रचनाकार की बेहतरीन प्रस्तुतियां हैं…