सुपरिचित कवयित्री मोनिका शुक्ला की दो मनोरम कविताएँ

सुपरिचित कवयित्री मोनिका शुक्ला की दो मनोरम कविताएँ

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1-भूल जाओगे  भूल जाओगे  क्या तुम मुझे मेरी बातों को मेरे प्रेम को  स्नेह को…… सूखे पत्तों की तरह उड़ा तो न दोगे अपने आँगन से….. सब कुछ तो रहेगा तुम्हारे आस पास घर द्वार फूल पत्ते गौरैया  मेरे ढेर सारे बोल…

चले आये हैं मदारी मेरे गांव में……

चले आये हैं मदारी मेरे गांव में……

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नांगलोई दिल्ली में कवियों ने खूब जमाया रंग कविताओं के जरिये दिया समाज को नया संदेश इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती दिल्ली से सम्बद्ध अखिल भारतीय साहित्य परिषद् न्यास एवं जयभारती साहित्य संगम के संयुक्त तत्वावधान में ताली योगा ग्रुप कुँअर सिंह नगर, नांगलोई…

सुपरिचित कवयित्री शैलजा सिंह का चर्चित गीत

सुपरिचित कवयित्री शैलजा सिंह का चर्चित गीत

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सच की बोली बोल चिरइया  सच का दाना पानी ले।। लेना है तो मिल कबीर से  और कबीर की बानी ले।।  ब्रज में राधा बन कर आई बनी रसोई सीता की युद्ध भूमि में तुम्हीं बनी थी पहली पंक्ति गीता की।। उड़ने…

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की काव्य गोष्ठी में 3 दर्जन कवियों ने बांधा समां

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की काव्य गोष्ठी में 3 दर्जन कवियों ने बांधा समां

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‘देश की जवानी की रवानी कौन लिखेगा’ गाजियाबाद। शास्त्री नगर के जीवन विहार में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गाजियाबाद की मासिक काव्य गोष्ठी में लगभग तीन दर्जन कवि-कवयित्रियों ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में काव्य पाठ कर खूब समां बांधा। तीन घंटे…

अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों की स्वच्छता के लिए अखिल भारतीय पोल खोल अभियान

अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों की स्वच्छता के लिए अखिल भारतीय पोल खोल अभियान

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#ये_गन्दगी_की_बन्दगी_का_कैसा_दौर_है। #यहाँ_लिखता_कोई_और_है_पढ़ता_और_है।।   (शुचिता पसन्द करने वाले सभी मित्र इस पोस्ट को खुलकर व्हाट्सएप्प और फेस बुक पर शेयर करें,जिस से ऐसे अकवियों का भंडाफोड़ किया जा सके). समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध। जो तटस्थ है समय लिखेगा…

देहरादून की सुपरिचित कवयित्री डाॅली डबराल की दो मनमोहक कविताएँ

देहरादून की सुपरिचित कवयित्री डाॅली डबराल की दो मनमोहक कविताएँ

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चक्रव्यूह…. सात द्वारों के चक्रव्यूह में  पल-पल पिसती नारी  पहला द्वार … सेनानायक सा पिता सिर पीटता पुत्री आगमन पर  तंज कसता पत्नी पर  सभी कोसते नवजात को  न किन्नर! न बधाई ! न लड्डू न पंडित न कुंडली  न मेहमानों का…

आज के समय की बदलती आबोहवा पर करारा तमाचा है ’बांहों में आकाश’

आज के समय की बदलती आबोहवा पर करारा तमाचा है ’बांहों में आकाश’

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समीक्षा उपन्यास-बांहों में आकाश लेखक- डाॅ. राजीव पांडेय प्रकाशक-हर्फ मीडिया मूल्य-दो सौ रुपए मात्र जीवन बदलाव का नाम है, समयानुसार बड़ी स्वाभाविकता से जीवन में बदलाव आते हैं।ऋतुओं में बदलाव ,वातावरण में बदलाव ,तन और मन के मौसम में बदलाव —-यानी कि…

जब गांधी जी बोले- ‘बिल्ली के गले में घंटी बांधने जैसी है हिन्दी’

जब गांधी जी बोले- ‘बिल्ली के गले में घंटी बांधने जैसी है हिन्दी’

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भाषा को लिपियों में लिखने का प्रचलन सर्वप्रथम भारत में ही हुआ। इसके हमारे पास बहुत से ऐतिहासिक साक्ष्य हैं और भारत से इसे सुमेरियन , बेबीलोन और यूनानी लोगों ने सीखा। देवनागरी एक वैज्ञानिक लिपि है। लिपि के विकास की प्रक्रिया…

नवांकुर जनमेश मोहनानी की हिन्दी पर लिखी सारगर्भित कविता

नवांकुर जनमेश मोहनानी की हिन्दी पर लिखी सारगर्भित कविता

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  हिदी है हम,हिदी का हम सब को अभिमान है सारी भाषाएॅ प्यारी है, पर हिदी हमारी जान है जन मे हिदी, मन मे हिदी, हिदी हो हर ग्राम में हिंदी का उपयोग करें हम अपने हर एक काम में एक सुर…

सुपरिचित कवयित्री मालविका हरिओम की कविता

सुपरिचित कवयित्री मालविका हरिओम की कविता

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इन किताबों में कुछ तो होता है  ओस बनकर जो मन भिगोता है  इल्म के एक-एक मोती को  रूह की तार में पिरोता है  कोई तो है जो ग़म सँजोता है  इन किताबों में कुछ तो होता है  ज़िन्दगी के हसीन पन्नों…