सुप्रसिद्ध कवयित्री प्रगति गुप्ता, जोधपुर की दो मार्मिक कविताएँ
On1-बेटियाँ कभी बङे़ जूते पहन तो कभी – बड़ी बिन्दिया लगा साङी पहन, तो कभी – चूङि़याँ सजा बड़े होने के सपने, देखा करती थी मैं… माँ मेरी हरकतों को देख रीझती थी मुझ पर… जाने क्यों अक्सर हँसते-हँसते रोती थी मुझ…