खराब जीवनशैली से बढ़ती है हाइपरटेंशन की समस्या

खराब जीवनशैली से बढ़ती है हाइपरटेंशन की समस्या

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अनियमित जीवनशैली के चलते लोगों में हाइपरटेंशन की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। जीवनशैली से जुड़ी जटिलताओं, बीमारियों, खाने-पीने की गलत आदतों, जागरूकताकी कमी के चलते बड़ी आबादी हाइपरटेंशन और इससे जुड़ी अन्य बीमारियों जैसे स्ट्रोक, किडनी फेलियर, हार्ट अटैक एवं अन्य…

मदर्स डे पर यशोदा अस्पताल में पहली बार मां बनीं मोनिका

मदर्स डे पर यशोदा अस्पताल में पहली बार मां बनीं मोनिका

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गाजियाबाद। मदर्स डे पर पहली बार मां बनी मोनिका ने लड़की को जन्म दिया। पिता अंकित मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। पेशे से सीनियर इंजीनियर हैं। उन्होंने बहुत ही खुशी के साथ बताया कि यह उनकी पहली बेटी है और मदर्स डे…

लाॅयन्स के शिविर में हुई 122 लोगों के ने़त्रों की जांच

लाॅयन्स के शिविर में हुई 122 लोगों के ने़त्रों की जांच

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नोएडा। लॉयन्स क्लब नोएडा द्वारा लगाये गये दूसरे निःशुल्क मोतियाबिंद नेत्र जाँच शिविर में 122 लोगों की आंखों का परीक्षण किया गया। शिविर का आयोजन आर्य समाज मन्दिर, मेन दादरी रोड,सूरजपुर में सुवह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक किया गया।…

यशोदा अस्पताल में विश्व अस्थमा दिवस पर चिकित्सा शिविर आयोजित

यशोदा अस्पताल में विश्व अस्थमा दिवस पर चिकित्सा शिविर आयोजित

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डॉ बृजेश प्रजापत ने 50 लोगों को बताये अस्थमा से बचाव के उपाय गाजियाबाद। वरिष्ठ श्वांस व एलर्जी विशेषज्ञ डॉ बृजेश प्रजापत ने बताया कि अस्थमा के मरीजों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा बरतनी चाहिए। अस्थमा के मरीजों के लिए बरसात…

यशोदा अस्पताल में लगेगा मुफ्त चिकित्सा शिविर

यशोदा अस्पताल में लगेगा मुफ्त चिकित्सा शिविर

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गाजियाबाद। एक मई को वल्र्ड अस्थमा डे के अवसर पर यशोदा हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर नेहरू नगर बच्चों एवं वयस्कों में होने वाली अस्थमा एवं स्वास की बीमारियों के लिए एक मुफ्त चिकित्सा एवं जांच शिविर लगाएगा। शिविर में मुफ्त फेफड़ों की…

अरिहंत ट्रस्ट की ओर से मेवाड़ में मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित

अरिहंत ट्रस्ट की ओर से मेवाड़ में मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित

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226 लोगों का हुआ स्वास्थ्य परीक्षण – हड्डियों, दांतों की जांच के अलावा हुआ ब्लड शुगर टेस्ट – ब्रेकफास्ट न करने से टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा, डाॅक्टरों ने किया आगाह गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के दयानंद सभागार…

गणेश अस्पताल ने पैदल मार्च निकालकर किया लोगों को जागरूक

गणेश अस्पताल ने पैदल मार्च निकालकर किया लोगों को जागरूक

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  गाजियाबाद। विष्व स्वास्थ्य दिवस पर गणेष अस्पताल ने शहर में पैदल मार्च ‘वाॅकाथन’ निकालकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। पैदल मार्च में शहर के चिकित्सकों, स्कूल-कालेज के छात्र-छात्राओं और अनेक संस्थाओं के लोगों ने भाग लिया। नेहरू नगर स्थित…

स्वास्थ्य दिवस पर गणेश अस्पताल निकालेगा पैदल मार्च

स्वास्थ्य दिवस पर गणेश अस्पताल निकालेगा पैदल मार्च

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गाजियाबाद। सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर नेहरुनगर स्थित गणेश अस्पताल पैदल मार्च निकालेगा। यह जानकारी अस्पताल की सीएमडी डॉ अर्चना शर्मा व डायरेक्टर डॉ प्रतीक शर्मा ने दी। पैदल मार्च स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करेगा।…

 बच्चों में बढ़ रही टाइप-वन डायबिटीज की समस्या

 बच्चों में बढ़ रही टाइप-वन डायबिटीज की समस्या

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आधुनिक चिकित्सा पद्वति से मिल सकती है निजात – 97 हजार बच्चे हैं टाइप-वन डायबिटीज के शिकार         नोएडाः डायबिटीज की समस्या बड़ों के अलावा बच्चों में तेजी से बढ़ रही है। देश के दूसरे हिस्सों के अलावा दिल्ली-एनसीआर में भी तेजी से बच्चे टाइप-वन डायबिटीज की गिरफ्त में आ रहे हैं। जहां देश में 97 हजार बच्चे टाइप-वन डायबिटीज के शिकार हैं, वहीं, दिल्ली-एनसीआर में प्रति एक लाख बच्चों में 32 बच्चे टाइप-वन डायबिटीज की चपेट में हैं। चिकित्सकों के मुताबिक अगर जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया जाए तोइस समस्या से निजात पाई जा सकती है। ग्लूको मीटर और इंसुलिन पंप जैसे आधुनिक चिकित्सा के जरिए भी इस रोग पर नियंत्रण पाकर बेहतर जीवन जिया जा सकता है। फोर्टिस एवं अपोलो अस्पताल के बाल रोग एवंएडोलसेंट एंडोक्रिनोलॉजिस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. आईपीएस कोचर ने बताया कि इसबीमारी के कारण अग्नाश्य के प्रतिरक्षक प्रणाली में पैदा होने वाला इंसुलिन उत्पादन कोशिकाओं को खत्म करदेता है, जिसके कारण बच्चों को इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहना पड़ता है।उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में प्रति एकलाख बच्चे में 32 बच्चे टाइप-वन डायबिटीज से पीड़ित हैं, जो चिंताजनक बात है। यह रोग बच्चों में अत्यधिकप्रचलित है, जिसके कारण इसे किशोर मधुमेह कहा जाता है। इस बीमारी का अभी तक कोई वास्तविक कारण का पता नहीं है, लेकिन आमतौर पर माना जाता है कि जब एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा शरीर के विपरीत काम करती है, तो अग्नाश्य में पैदा होने इंसुलिन को यह खत्म करना शुरू कर देती हैं। इन स्थितियों में बच्चे और उनके अभिभावक को चाहिए कि वह खेल गतिविधियों में नियमित हिस्सा लें। ऐसेबीमारी से पीड़ित बच्चों को समाज में बोझ समझा जाता है और मान लिया जाता है कि ऐसे बच्चे दूसरों की तरह सामान्य जीवन कभी नहीं जी सकेंगे। बीमारी के प्रति इस तरह के भ्रम और अज्ञानता के कारण सही इलाज में बाधा उत्पन्न होती है।   सक्रिय जीवन पर असरः  टाइप-वन डायबिटीज का मतलब है कि सक्रिय जीवन को हमेशा के लिए अलविदा कह देना। पहले विभिन्न इंजेक्शन के डोज के कारण लोगों की दिनचर्या सीमित हो जाती थी, लेकिन आधुनिक चिकित्सा थैरेपी में इंसुलिनपंप वाले ग्लूकोमीटर के  जरिए टाइप-वन डायबिटीज से पीड़ित बच्चे व व्यस्क भी सक्रिय जीवन पा सकते हैं।निरंतर ग्लूकोज मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस, इन डिवाइसों में ग्लूकोज के स्तर और अलार्म की वजह से जब भीइंसुलिन की आवश्यकता  होती है, उस अस्थिरता को ट्रैक करने में मदद करते हैं।