आओ युवा पीढ़ी को दिशाहीन होने से बचाएँ

लेख-
                                                                                 -डॉ. अशोक कुमार गदिया-
आज हम भारत देश पर निगाह डालें तो पाएंगे कि भारत की संस्कृति, सभ्यता एवं अस्तित्व विश्व में सबसे पुराना है। आज भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यह अब चीन से आगे निकल गया है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की एक नई रिपोर्ट के आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई है। यूएनएफपीए की द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत की जनसंख्या 1,428.6 मिलियन (142.86 करोड़) तक पहुंच गई है, जबकि चीन की 1,425.7 मिलियन (142.57 करोड़) है, जिसका मतलब है हमारी जनसंख्या चीन से 2.9 मिलियन यानि 29 लाख ज्यादा है। यूएनएफपीए ने अपनी ताजा रिपोर्ट में आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि भारत में लगभग 68 प्रतिशत जनसंख्या 15-64 की उम्र के बीच हैं, जबकि 65 से ऊपर के लोग सिर्फ 7 प्रतिशत हैं। संयुक्त राष्ट्र ने 2022 में ही इस बात का अनुमान लगाया था कि भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने वाला है। इस रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार-भारत में 25 प्रतिशत जनसंख्या 0-14 आयु वर्ग के बच्चों की है। 18 प्रतिशत 10-19 साल की आयु के बच्चों की आबादी है। वहीं 10 से 24 साल के आयु वर्ग की जनसंख्या 26 प्रतिशत है। सबसे ज्यादा 68 प्रतिशत जनसंख्या 15 से 64 आयु वर्ग में हैं। जबकि 65 से ऊपर के लोग सिर्फ 7 प्रतिशत हैं।
भारत बना दुनिया का सबसे युवा देश
यूएनएफपीए की नयी रिपोर्ट में गौर करने वाली बात यह है कि भारत की 25 प्रतिशत आबादी 0 से 14 साल के आयु वर्ग में है और उसकी 18 प्रतिशत जनसंख्या 10 से 19 साल की है। जबकि 26 प्रतिशत जनसंख्या 10 से 24 साल की है। इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा 68 प्रतिशत आबादी 15 से 64 वर्ष के आयुवर्ग में है। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत 15 से 35 के आयु वर्ग में 40 प्रतिशत युवा आबादी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश बन गया है।
भारत के दुनिया में सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र का पूर्वानुमान है कि देश की जनसंख्या अगले तीन दशक तक बढ़ती रह सकती है और उसके बाद यह घटना शुरू होगी। भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़कर सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या पूर्वानुमान-2022 के अनुसार 2050 तक भारत की जनसंख्या 166.8 करोड़ पहुंच सकती है, वहीं चीन की आबादी घटकर 131.7 करोड़ हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र के विश्लेषण के अनुसार बिहार और उत्तर प्रदेश में युवा आबादी अधिक है। यूएनएफपीए की भारत की प्रतिनिधि और भूटान की निदेशक एंड्रिया वोज्नार ने कहा, ‘‘भारत की 1.4 अरब आबादी को 1.4 अरब अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए।  
दिशाहीन है युवा पीढ़ी
एक युवा देश होने के नाते हमारे देश में कुछ स्वाभाविक लक्षण होने चाहिएं। जैसे अत्यधिक शक्ति, जोश, स्फूर्ति एवं हर समय कुछ नया एवं विशिष्ट करने का जज़्बा, नयी उमंग, खेलकूद, साहसिक कार्य, अध्ययन एवं अनुसंधान, व्यवसाय, रोज़गार, कला-संस्कृति, देशभक्ति, समाजसेवा, नई तकनीक, फैशन, साज-सज्जा आदि। क्योंकि जहाँ युवा पीढ़ी होगी, वहाँ ये कार्य स्वाभाविक रूप से नित नूतन तरीकों से बढ़िया होंगे। होने भी चाहिएं। परन्तु जब वास्तविकता पर दृष्टिपात करेंगे तो पाएंगे कि हमारे यहाँ इन सबमें जिस अनुपात में प्रगति होनी चाहिये, उतनी नहीं हुई है। इन सब कार्यां में विश्वस्तरीय हमारी पूर्ण निपुणता, गुणवत्ता एवं संख्या बहुत कम है और हमारी युवा जनसंख्या के अनुपात में तो यह नगण्य है। इसका ताज़ा उदाहरण पेरिस में हुए ऑलम्पिक-2024 को देखा जा सकता है। हमारे पास युवाओं की भारी तादाद होने के बावजूद भारत के खिलाड़ी बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। भारत को मात्र एक सिल्वर और पांच कांस्य पदाकों से संतुष्ट होना पड़ा। जबकि भारत से अनेक छोटे देशों के खिलाड़ी कम संसाधनों में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक तक हासिल कर गये। इस पिछड़ेपन का मूल कारण क्या है? बहुत सोचने पर जो मुझे समझ आता है, वह यह कि हमारे नौजवानों को घर से लेकर विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय तक में न तो उचित शिक्षा मिली, न उचित प्रशिक्षण मिला और न ही उचित सलाह एवं प्रोत्साहन। कहने का मतलब यह कि युवाओं का स्वाभाविक विकास नहीं हुआ। उनका विकास व्याप्त रीति-रिवाजों, परिस्थितियों, देखा-देखी, दुष्प्रचार, ग़लतफहमी, ग़लत सरकारी नीतियों, राजनैतिक दलों की साजिशों और असामाजिक तत्वों के प्रलोभन से हुआ। उसका नतीजा है-हर तरफ अफरा-तफरी, आतंक, हिंसा, असंतोष, भ्रष्टाचार, शोषण, जातिवाद, बेरोज़गारी, सरकारी नौकरी का लालच, सरकार पर पूर्ण निर्भरता, कामचोरी, हरामखोरी, अनुशासनहीनता, चोरी, डकैती, लूट, झूठ, हेराफेरी, मिलावट, कम तौल, हत्या, बलात्कार, आत्महत्या, बेवजह तनाव, नशाखोरी, सामाजिक असमानता आदि। हमारी युवा पीढ़ी में यह मानसिकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। किसी भी राष्ट्र एवं समाज को यदि उन्नति के शिखर पर पहुँचना है, खुशहाल होना है तो उस देश का युवा जब तक आत्मविश्वास से भरपूर, आत्मनिर्भर, अपने अधिकारों एवं दायित्वों के प्रति पूर्ण रूप से सजग, सामाजिक रूप से संवेदनशील, राष्ट्रीय रूप से देशभक्त, अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं महापुरुषों का आदर करने वाला, मानसिक एवं शारीरिक रूप से पूर्णतया विकसित और सुदृढ़ नहीं होगा, तब तक देश उन्नति के शिखर पर नहीं पहुँच सकता। वहाँ का समाज प्रगतिशील एवं सभ्य नहीं हो सकता।
कैसे हो सही मार्गदर्शन
इस कालखण्ड में सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं सामाजिक कार्य यदि कोई है तो वह है युवा पीढ़ी के बीच काम करना, उसको अच्छे से पढ़ाना-लिखाना, प्रशिक्षण देना, सामाजिक एवं राष्ट्रीय विषयों की पूर्ण प्रमाणिक जानकारी देना और उसमें सामाजिक व राष्ट्रीय चेतना जागृत करना। उसको इस देश की कला-संस्कृति, संस्कार एवं महापुरुषों के साथ जोड़ना, उनके प्रति गौरव का भाव पैदा करना। उसमें हर परिस्थिति में देश एवं समाज के हित में कुछ करते रहने का जज्बा पैदा करना। समाज के पिछड़े एवं दबे हुए उपेक्षित तबके के प्रति दया का भाव नहीं, अपनेपन का भाव जगाना और लगातार उनके विकास के लिये कुछ करते रहने का भाव पैदा करना। नौजवानों की अच्छी नौकरी लगवाना। जो अच्छी नौकरी नहीं कर सकते, उन्हें अच्छे उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करना, हर नवयुवक को अपने व्यक्तित्व को निखारने का सुअवसर प्रदान करना, उसको एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाना और अंततः उसको अपनी विद्या में एक कामयाब पेशेवर बनाकर सामाजिक जीवन में भेजना। यह है आज के समय का युग धर्म। अब यह सवाल उठता है कि यह सब काम कहाँ होंगे, कब होंगे, कैसे हांंगे? और उन्हें कौन करेगा? इन सब प्रश्नों के उत्तर देने से पहले मैं एक बात और स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि नौजवान तैयार करने की प्रक्रिया लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। यह कोई एक दिन, एक सप्ताह या एक माह के प्रशिक्षण शिविर से पूरी नहीं होने वाली है। नौजवान तैयार करने का काम विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में दिन-प्रतिदिन होगा। इसको करेंगे प्रतिदिन पढ़ाने वाले अध्यापक, प्राध्यापक एवं प्रबन्धन के वरिष्ठजन और यह होगा एक विशिष्ट शैक्षणिक पद्धति का गठन कर उसको उपयोग में लाने से, वह विशिष्ट पद्धति है जिसमें अध्यापक का कार्य हो-अच्छे से अच्छा पढ़ना, पढ़ाना एवं अपने विद्यार्थियों के लिए एक अच्छे मित्र, सलाहकार और मार्गदर्शक के रूप में हर समय काम करना।  He has to be a guide, friend & philosopher.  ये काम हम करेंगे तभी हमारे देश के नौजवान सजग बनेंगे। दुर्व्यसनों से बचेंगे। स्वयं को सही दिशा दे सकेंगे और देश एवं समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे। भारत देश और समाज का विकास ऐसे कुशल नौजवान ही कर सकते हैं। आओ हम आज से ही इन्हें शिक्षित और प्रशिक्षित कर सही मार्ग दिखाने का भागीरथ प्रयास शुरू करें।
                                                                                                                     (लेखक मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन हैं।)

                                                                                    

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