सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये विद्यार्थियों ने मन मोहा
गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में अमर बलिदानी रानी लक्ष्मी बाई जयंती पर विद्यार्थियों ने रानी लक्ष्मी बाई पर आधारित सांस्कृतिक एवं देशभक्तिपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमें आज जागरूक होने की आवश्यकता है। रानी लक्ष्मी बाई जैसा देश के लिए बलिदान देने का जज्बा मन में पैदा करना होगा। महिला कभी निर्बल नहीं होती, अगर वह ठान ले तो विपरीत परिस्थितियों में भी वह काली और दुर्गा बन जाती है और दुष्टों का संहार करती है। डॉ. गदिया ने कहा कि महिलाएं रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान से सबक लें। वे मानसिक रूप के अलावा शारीरिक रूप से सबल बनें। शिक्षक छात्राओं में शिक्षा व ज्ञान के अलावा उनमें हिम्मत व साहस का संचार भी करें। उन्होंने कहा कि रानी ल्क्ष्मी बाई चाहतीं तो अंग्रेजों के गुजारे के लिए दिये जाने वाले साठ हजार रुपये के प्रस्ताव को स्वीकार कर सकती थीं लेकिन अपनी झांसी और अपनी प्रजा के हित के लिए उन्होंने अंग्रेजों के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया। उन्होंने मरते दम तक अंग्रेजों से लोहा लिया और उनके हाथ नहीं आईं। अंत में देश हित में उन्होंने स्वतः अपने प्राण त्याग दिये। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि देश एवं समाज के लिए मन में मजबूती लाएं और विपरीत परिस्थितियों में भी देश के लिए सचेत रहें। समारोह में मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस के विद्यार्थियों ने रानी लक्ष्मी बाई के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित सम्भाषण, समूह गान, एकल गान, कविताएं आदि सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थियों में ज्योति सिंह, अभय शुक्ला, खुशी झा, अर्पिता, शिवम, शिखा, खुशी वर्मा, भूमि, श्वेता मेहता, सूर्य प्रताप आदि थे। संचालन अयाना और भूमि ने किया।
गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में अमर बलिदानी रानी लक्ष्मी बाई जयंती पर विद्यार्थियों ने रानी लक्ष्मी बाई पर आधारित सांस्कृतिक एवं देशभक्तिपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमें आज जागरूक होने की आवश्यकता है। रानी लक्ष्मी बाई जैसा देश के लिए बलिदान देने का जज्बा मन में पैदा करना होगा। महिला कभी निर्बल नहीं होती, अगर वह ठान ले तो विपरीत परिस्थितियों में भी वह काली और दुर्गा बन जाती है और दुष्टों का संहार करती है। डॉ. गदिया ने कहा कि महिलाएं रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान से सबक लें। वे मानसिक रूप के अलावा शारीरिक रूप से सबल बनें। शिक्षक छात्राओं में शिक्षा व ज्ञान के अलावा उनमें हिम्मत व साहस का संचार भी करें। उन्होंने कहा कि रानी ल्क्ष्मी बाई चाहतीं तो अंग्रेजों के गुजारे के लिए दिये जाने वाले साठ हजार रुपये के प्रस्ताव को स्वीकार कर सकती थीं लेकिन अपनी झांसी और अपनी प्रजा के हित के लिए उन्होंने अंग्रेजों के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया। उन्होंने मरते दम तक अंग्रेजों से लोहा लिया और उनके हाथ नहीं आईं। अंत में देश हित में उन्होंने स्वतः अपने प्राण त्याग दिये। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि देश एवं समाज के लिए मन में मजबूती लाएं और विपरीत परिस्थितियों में भी देश के लिए सचेत रहें। समारोह में मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस के विद्यार्थियों ने रानी लक्ष्मी बाई के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित सम्भाषण, समूह गान, एकल गान, कविताएं आदि सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थियों में ज्योति सिंह, अभय शुक्ला, खुशी झा, अर्पिता, शिवम, शिखा, खुशी वर्मा, भूमि, श्वेता मेहता, सूर्य प्रताप आदि थे। संचालन अयाना और भूमि ने किया।