सुप्रसिद्ध कहानीकार से.रा. यात्री का निधन
हिंदी साहित्य में संवेदनात्मक कथाओं का युग समाप्त

चेतन आनंद
गाजियाबाद। देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री से. रा. यात्री का 17 नवम्बर की सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने कवि नगर स्थित अपने निवास एफ/ई-7 पर अंतिम सांस ली। अंतिम संस्कार हिंडन श्मशान घाट (गाजियाबाद) पर अपराह्न तीन बजे किया जाएगा। उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मेरठ प्रान्त, अखिल भारतीय साहित्य परिषद महानगर और नगर इकाई ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। कहा है कि श्री यात्री जी के जाने के बाद से सार्थक और प्रेरणाप्रद कथाओं का एक युग समाप्त हो गया है। संवेदना के धरातल पर मार्मिक कहानियाँ लिखने वाले यात्री जी के जाने से हिंदी साहित्य की बहुत बड़ी क्षति हुई है। 
से. रा. यात्री आत्मज स्व. श्री होशियार सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर के ग्राम जड़ौदा में 10 जुलाई 1932 को हुआ था। उन्होंने एम. ए. हिन्दी और एम. ए. राजनीति शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी। एक दिन पहले गुरुवार को दीपशिखा ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अजय गोयल ने बताया था कि वयोवृद्ध गांधीवादी साहित्यकार से. रा. यात्री को उनकी सृजन यात्रा के लिए 18 नवंबर को ‘दीपशिखा’ सम्मान से अलंकृत किया जाएगा। इस अवसर पर उन्हें अंग वस्त्र व श्रीफल के अलावा 50 हजार रुपये की राशि भी प्रदान की जाएगी। लेकिन उससे पहले ही आज (17 नवंबर, 2023) शुक्रवार की सुबह यात्रीजी गोलोक सिधार गए। उल्लेखनीय है कि विगत 50 वर्षों से लेखन में सक्रिय श्री यात्री देश विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 300 से अधिक कहानियां, 40 से अधिक कहानी संग्रह, 32 से अधिक उपन्यास के अलावा संस्मरण, व्यंग्य और साक्षात्कार की लगभग 150 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। जिनमें उपन्यास के रूप में ‘दराजों में बंद दस्तावेज’, ‘लौटते हुए’, ‘टापू पर अकेले’, ‘चांदनी के आर-पार’, ‘बीच की दरार’, ‘अंजान राहों का सफ़र’, ‘कईं अंधेरों के पार’, ‘प्यासी नदी”, ‘एक छत के अजनबी’ व ‘जिप्सी स्कॉलर’, कहानी संग्रह ‘दूसरे चेहरे’, ‘अलग अलग अस्वीकार’, ‘काल विदूषक’, ‘धरातल’, ‘केवल पिता’ व ‘सिलसिला” खासे चर्चित रहे हैं। उनके संस्मरण, व्यंग्य, साक्षात्कार व डायरी के रूप में लगभग 150 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 

News Reporter

1 thought on “सुप्रसिद्ध कहानीकार से.रा. यात्री का निधन

  1. यात्री जी हिन्दी साहित्य के पुरोधाओं में से एक थे I अपनी रोचक कहानियों के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे . I मैंने उनकी एक कहानी दूत पर doordarshan के लिए पटकथा लिखी थी और वह telefilm काफी चर्चित रही I तब उनसे मुलाकात करने का सौभाग्य भी मिला था I बहुत ही मिलनसार और सज्जन व्यक्ति थे I परमात्मा उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *