‘मानसिक रूप से स्वयं स्वस्थ रहें
और पड़ोसियों को भी स्वस्थ रखें’
गाजियाबाद। ‘मानसिक रूप से आप स्वस्थ रहें और अपने पड़ोस को भी स्वस्थ रखें। यही मानव कल्याण की भावना आज होनी चाहिए।’ वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के ऑडिटोरियम में मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, विश्व युवक केन्द्र और अरिहंत चेरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट के संयुक्त प्रयास से आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने यह बात कही। मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान यानी इहबास दिल्ली के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु सिंह ने कहा कि आज सबसे खतरनाक मोबाइल फोन का नशा है। इससे बचना होगा। वरना नई पीढ़ी मानसिक रूप से और बीमार हो जाएगी। इसलिए नौजवान मोबाइल का उतना ही प्रयोग करें जितने की आवश्यकता है। सुप्रसिद्ध मानसिक रोग विशेषज्ञा प्रोफेसर डॉ. छवि भार्गव शर्मा ने एक विशेष सत्र के तहत मानसिक रोग की उत्पत्ति, उसके लक्षण, इनसे बचने के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आप जो भी करें दिल-दिमाग को संतुलित करते हुए करें। हमें सबकुछ आंख मूंदकर स्वीकार नहीं करना चाहिए। जो अच्छी आदतें हैं उन्हें ग्रहण करने की समझ हममें होनी चाहिए। विश्व युवक केन्द्र के समन्वयक आलोक वत्स ने कहा कि हम स्वयं पर अधिक ध्यान दें। हम सुधरेंगे तो समाज सुधरेगा। अरिहंत चेरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट की अध्यक्ष और मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि सभी प्राणी अनमोल हैं। अपने भीतर से अनजाने भय को दूर कर स्वयं में आत्मविश्वास बढ़ाएं। जीवन को और सुंदर व सुनहरा बनाएं। यही इच्छा हमें समाज को सुंदर बनाने के लिए प्रेरित करती है। विश्व युवक केन्द्र के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी उदय शंकर सिंह एवं कार्यक्रम अधिकारी रजत थॉमस ने कहा कि अपने आपको कभी अकेला न समझें। अपने आपको इस सृष्टि की महत्वपूर्ण इकाई मानें और मानसिक रोगों से दूर रहें। इस अवसर पर वक्ताओं को शॉल, स्मृति चिह्न और गुलदस्ते भेंटकर सम्मानित किया गया। मानसिक रोग विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में शामिल होने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र दिये गये। कुशल संचालन रंजना मिश्रा ने किया। सेमिनार में काफी संख्या में नौजवान मौजूद थे। उन्होंने प्रश्नों के माध्यम से वक्ताओं से उनका हल भी लिया।
और पड़ोसियों को भी स्वस्थ रखें’
गाजियाबाद। ‘मानसिक रूप से आप स्वस्थ रहें और अपने पड़ोस को भी स्वस्थ रखें। यही मानव कल्याण की भावना आज होनी चाहिए।’ वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के ऑडिटोरियम में मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, विश्व युवक केन्द्र और अरिहंत चेरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट के संयुक्त प्रयास से आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने यह बात कही। मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान यानी इहबास दिल्ली के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु सिंह ने कहा कि आज सबसे खतरनाक मोबाइल फोन का नशा है। इससे बचना होगा। वरना नई पीढ़ी मानसिक रूप से और बीमार हो जाएगी। इसलिए नौजवान मोबाइल का उतना ही प्रयोग करें जितने की आवश्यकता है। सुप्रसिद्ध मानसिक रोग विशेषज्ञा प्रोफेसर डॉ. छवि भार्गव शर्मा ने एक विशेष सत्र के तहत मानसिक रोग की उत्पत्ति, उसके लक्षण, इनसे बचने के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आप जो भी करें दिल-दिमाग को संतुलित करते हुए करें। हमें सबकुछ आंख मूंदकर स्वीकार नहीं करना चाहिए। जो अच्छी आदतें हैं उन्हें ग्रहण करने की समझ हममें होनी चाहिए। विश्व युवक केन्द्र के समन्वयक आलोक वत्स ने कहा कि हम स्वयं पर अधिक ध्यान दें। हम सुधरेंगे तो समाज सुधरेगा। अरिहंत चेरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट की अध्यक्ष और मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि सभी प्राणी अनमोल हैं। अपने भीतर से अनजाने भय को दूर कर स्वयं में आत्मविश्वास बढ़ाएं। जीवन को और सुंदर व सुनहरा बनाएं। यही इच्छा हमें समाज को सुंदर बनाने के लिए प्रेरित करती है। विश्व युवक केन्द्र के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी उदय शंकर सिंह एवं कार्यक्रम अधिकारी रजत थॉमस ने कहा कि अपने आपको कभी अकेला न समझें। अपने आपको इस सृष्टि की महत्वपूर्ण इकाई मानें और मानसिक रोगों से दूर रहें। इस अवसर पर वक्ताओं को शॉल, स्मृति चिह्न और गुलदस्ते भेंटकर सम्मानित किया गया। मानसिक रोग विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में शामिल होने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र दिये गये। कुशल संचालन रंजना मिश्रा ने किया। सेमिनार में काफी संख्या में नौजवान मौजूद थे। उन्होंने प्रश्नों के माध्यम से वक्ताओं से उनका हल भी लिया।