विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीएसटी) ने एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश को वैज्ञानिक और तकनीकी बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए ‘ सिनर्जिस्टिक ट्रेनिंग प्रोग्राम (एसटीयूटीआई) प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान किया गया है जिसके अंर्तगत एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा परियोजना प्रबंधन इकाई के रूप में सात दिनों का आवासीय व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसी प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंर्तगत एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा 13 मार्च से 19 मार्च तक जेएनयू के स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड सिस्टम साइंसेज में ‘‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड डेटा सांइस में रूझान’’ पर 21 वें प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उददेश्य लैंगिंक असमानता को कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में महिलायें) प्रशिक्षण प्रदान करना है, जिसमें तमिलनाडू, आंधप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों के दस से अधिक संस्थानों से 30 महिलायें प्रतिभागी हिस्सा ले रही है, इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रेक्टर (द्वितीय) प्रो दीपेन्द्र नाथ दास, एमिटी विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलसचिव डा ए च्रकवर्ती और जेएनयू के स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड सिस्टम साइंसेज के डीन डा टी वी विजय कुमार द्वारा किया गया,जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रेक्टर (द्वितीय) प्रो दीपेन्द्र नाथ दास ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कोविड के उपरांत डिजिटलीकरण के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी के बिना चीेजें अधिक कठिन होगी। डेटा साइंस हमेशा गुणवत्ता विकास और मानव संसाधन की जरूरतों के लिए एक रास्ता लेकर आता है।जेएनयू के स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड सिस्टम साइंसेज के डीन डा टी वी विजय कुमार ने विभिन्न औद्योगिक क्रंातियों के बारे में बात की और बताया कि कैसे एआई इन दिनों क्रंाति के रूप में उभर रहा है। हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कंप्यूटर साइंस तक सीमित नही रखना चाहिए, ऐसे कई क्षेत्र है जिनमें एआई का इस्तेमाल होता है। उन्होनें नैरो और स्ट्रग एआई टाइप्स का जिक्र भी किया।इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलसचिव और एमिटी फांउडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन एलायंस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा ए च्रकवर्ती ने हम डीएसटी को एसटीयूटीआई जैसी पहल के लिए बहुत आभारी है जिन्होनें एमिटी को प्रशिक्षण देने का अवसर प्रदान किया। इस सात दिनों का प्रशिक्षण प्रतिभागियों को एआई में मास्टर न बना पाएं, लेकिन यह निश्चित रूप से उन्हे उज्जवल भविष्य बनाने के लिए अंर्तदृष्टि प्रदान करेगें। एआई में महिलाओं के 22 प्रतिशत वैश्विक सूचकांक को पार करके भारत पहले ही एक बेंचमार्क स्थापित कर चुका है। उन्होनें कहा कि एआई और डेटा सांइस सभी पांरपरिक विषयों के लिए एक इंटीग्रेटर के रूप में कार्य करते है और नई तकनीको के विकास मे बेहद महत्वपूर्ण है।जेएनयू के स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड सिस्टम साइंसेज की प्रोफेसर मंजू खारी ने सात दिनों के दौरान आयोजित होने वाले सैद्धातिक, व्यवहारिक और औद्योगिक अनावरणों के बारे में बताया। उन्होनें प्रतिभागियों को अपनी क्षमता को अनलॉक करने के लिए इस प्रशिक्षण का लाभ उठाने के लिए प्रेरित भी किया।एमिटी विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड डेटा सांइस के निदेशक डा एम के दत्ता ने कहा कि पिछले छह वर्षो से हार्ड कोर एआई क्षेत्र में होने वाले अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि एआई में हार्ड कोर वैज्ञानिक होना आवश्यक नही है यदि आप रचनात्मक सोच सकते है तो आप एआई के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर सकते है। इस अवसर पर एमिटी स्कूल ऑफ इंजिनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की उपनिदेशक डा निताशा हस्तीर ने अनुभवों को भी साझा किये।