अखिल भारतीय साहित्य परिषद की वासंती काव्य गोष्ठी आयोजित
कवियों ने अपनी दमदार कविताओं से बिखेरे मनमोहक रंग
ग़ाज़ियाबाद। अखिल भारतीय साहित्य परिषद,महानगर इकाई की वासंती काव्य गोष्ठी का आयोजन गौड़ ग्लोबल विलेज, क्रासिंग रिपब्लिक में किया गयाI कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन  के साथ हुआI  सरस्वती वंदना कर माँ शारदे को नमन किया गयाI  कवयित्री सीमा सागर शर्मा ने ‘महकती है धरा जिसकी जहाँ सुन्दर सवेरा है’ और ‘ये आँखें क्या कहूँ सब राज़ दिल का खोल देती हैं’, आदि मुक्तक पढ़कर श्रोताओं की तालियां बटोरीं। कवि अजय वियोगी ने ‘जब से तू मेरी इन आँखों में उतर आया है, गीत पढ़कर प्रेम को बेहद सुंदर तरीके से वर्णित किया I कवि अजीत श्रीवास्तव ने लोगों ने ‘हम पर बहुत जुल्म ढाए, पर हम हमेशा हंसे मुस्कुराए’, मानवीय संवेदनाओं पर आधारित ग़ज़ल पढ़ीI ग़ज़लकार डॉक्टर सुधीर त्यागी ने संविधान की बारीकियों जैसे अनूठे विषय पर, ‘मुझे हक परस्ती पसंद है’, शानदार ग़ज़ल पढ़कर सभी का मन मोह लिया। उन्हीं की एक और ग़ज़ल, ‘मेरी आशिकी के उसूल हैं तू इनायतों की सज़ा न दे’, भी खूब सराही गईI सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार कवि प्रमोद कुमार कुश “तन्हा” ने ‘चलो देखें मोहब्बत का सलीक़ा कौन रखता है, ग़ज़ल पढ़कर सभी श्रोताओं का दिल जीत लियाI कवयित्री गरिमा आर्य ने ‘मेरे दिल में बसे हो तुम, तुम्हें मालूम तो है ना’, रचना के माध्यम से मन में बसे प्रेम के भावों को उद्धृत कियाI कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि नितिन गुप्ता ने ‘हर दीवाली मेरी यूँ मनी जैसे कि राम आए न हो वनवास से’, गीत के द्वारा सभी श्रोताओं को रामभक्ति से सराबोर कर दिया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मेरठ प्रांत के महासचिव और कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉक्टर चेतन आनंद ने अपने चिर परिचित अंदाज में ग़ज़ल ‘अक्सर रोशनी के संग मक्कारी नहीं अच्छी, और ‘कितनी ही नदियां पीता है, सागर कितना प्यासा होगा, गीत के माध्यम से सभी का दिल जीत लियाI श्रोताओं के आग्रह पर उन्होंने अपना चर्चित गीत ‘कहाँ गए दिन फूलों के’ पढ़कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दियाI कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मेरठ प्रांत के अध्यक्ष कवि देवेन्द्र देव मिर्जापुरी ने अपने छंदों द्वारा जहाँ एक ओर राम व कृष्ण भक्ति में श्रोताओं को डुबोया वहीं वसंत ऋतु का बेहद मनमोहक चित्र भी प्रस्तुत कियाI कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. रमा सिंह ने ‘करते हो तुम सबकी बात, फिर कब होगी अपनी बात’, ग़ज़ल के द्वारा प्रेम के विभिन्न आयामों को दर्शायाI उनके गीत ‘कली-कली महक रही हर फूल पर निखार है’ ने श्रोताओं के सम्मुख वसंत ऋतु को सचित्र कर दिया, जिसकी प्रशंसा श्रोताओं ने अपनी तालियों के माध्यम से कीI कार्यक्रम के दौरान संगीता आनंद, अशोक गुप्ता, साधना मेहता आदि विशेष तौर पर उपस्थित रहेI सफल काव्य गोष्ठी का संयोजन गरिमा आर्य ने किया।

 

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