अगले दो सालों में कश्मीर हो जाएगा आतंकमुक्त-मनोज सिन्हा
कश्मीर को जानना है तो ‘कश्मीर’ पुस्तक जरूर पढ़ें-मनोज सिन्हा
गाजियाबाद। प्रख्यात शिक्षाविद् और मेवाड़ विश्वद्यालय के चेयरमैन डॉ अशोक कुमार गदिया की ‘मेरे अनुभव और इतिहास के झरोखे से कश्मीर’ पुस्तक का विमोचन जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, इंदिरा गांधी कला केन्द्र के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष पद्मश्री जवाहर लाल कौल एवं एकात्म मानव प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने किया। इस मौके पर मनोज सिन्हा ने कहा कि ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से कश्मीर को समझना बहुत जरूरी है और कश्मीर को जानने के लिए डॉ. अशोक कुमार गदिया की कश्मीर पर लिखी पुस्तक को पढ़ना चाहिये। उन्होंने पुस्तक के प्रथम अध्याय को विशेष बताते हुए जम्मू-कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वहाँ हो रहे विकास कार्यों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में कोई भी कार्यक्रम राष्ट्रगान से शुरू होता है और राष्ट्रगान पर ही खत्म होता है। कई लाख-करोड़ के विकास कार्य चल रहे हैं और यहाँ धरातल पर सकारात्मकता बढ़ी है। उन्होंने दावा किया कि सरकार जम्मू- कश्मीर में शांति स्थापित करने की कोशिश कर रही है। अगर इसी तरह से सरकार के प्रयास जारी रहे तो हम कश्मीर से अगले दो साल में आतंकवाद को जड़ से उखाड़ देंगे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने कहा कि जिसने इस पुस्तक के पहले अध्याय को पढ़ा, समझा और अनुभव कर लिया, उसके लिए कश्मीर के इतिहास का झरोखा खुलता जाता है। यह पुस्तक इसी अध्याय में पूरी और यहीं से शुरू भी होती है। यही अध्याय पुस्तक का सूत्र रूप है। जिसे सूत्र समझ में आ जाए उसके लिए शेष पुस्तक उसका भाष्य होगा। उन्होंने पुस्तक के पहले अध्याय में कश्मीरी छात्रों के लिए लेखक के कठिन संघर्षों का जिक्र किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष जवाहर लाल कौल ने कहा कि पुस्तक ऐतिहासिक तथ्यों से भरपूर और पठनीय है। लेखक के अपने अनुभव और लिखने का तरीका एकदम निराला है। कश्मीर को करीब से जानने के लिए हर किसी को यह किताब पढ़नी चाहिए। दूसरे विशिष्ट अतिथि डॉ महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि कश्मीर और कश्मीरियत को सही अर्थों में समझने के लिए डॉ. गदिया द्वारा लिखित पुस्तक सहायक सिद्ध होगी। पुस्तक के लेखक डॉ. अशोक कुमार गदिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि कश्मीर न सिर्फ भारत का अभिन्न अंग है बल्कि उसकी आत्मा है। उन्होंने मेवाड़ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों के संघर्ष का जिक्र करते हुए अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि हम कश्मीर जाते हैं, हमें डल झील अच्छी लगती है, पहाड़ अच्छे लगते हैं, हरियाली अच्छी लगती है, पहाड़ों की बर्फ अच्छी लगती है लेकिन हम वहां के लोगों से भी प्यार करना सीखें। उनको समझें। उनसे वार्ता करें। कार्यक्रम में गणमान्य अतिथियों की भागीदारी रही। स्वागत वक्तव्य मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सहायक निदेशक डॉ. चेतन आनंद ने दिया तो इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस दौरान मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के महासचिव सीए अशोक कुमार सिंघल, मेवाड़ विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य अर्पित माहेश्वरी, लोकनीति के जानकार अविनाश चंद्र आदि उपस्थित रहे।