ग़ज़ल
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अपने ग़म को आँसुओं की शक्ल देना सीख लो,
आँसुओं को मोतियों की शक्ल देना सीख लो।
आपकी बेचैनियों को चैन भी मिल जाएगा,
रास्तों को मन्ज़िलों की शक्ल देना सीख लो।
मुश्किलें जैसे भँवर हैं, हल हैं साहिल की तरह,
तुम भँवर को साहिलों की शक्ल देना सीख लो।
देख लेना प्रीति की मुंदरी तुम्हें मिल जाएगी,
अपने दिल को उँगलियों की शक्ल देना सीख लो।
ज़िन्दगी में इससे अब ज़्यादा सुकूँ कोई नहीं,
ख्वाहिशों को राहतों की शक्ल देना सीख लो।
छोड़ दो एसी, ये पंखे और ये कूलर जनाब,
गर्मियों को सर्दियों की शक्ल देना सीख लो।
बादलों से ख़्वाब उतरेंगे ज़मीं पर देखना,
बारिशों को रस्सियों की शक्ल देना सीख लो।
-चेतन आनंद
27.08.22