मेवाड़ में ‘बौद्धिक सम्पदा अधिकार’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू

विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को दीं अपनी
ही चीजें पेटेन्ट कराने की जानकारियां
गाजियाबाद। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के इंस्टीट्यूट इंक्यूबेशन सेंटर ने केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आईपीआर संवर्द्धन और प्रबंधन प्रकोष्ठ की मदद से छह दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है। इसका विषय ‘बौद्विक सम्पदा अधिकार’ है। इस कार्यशाला का मकसद बौद्धिक सम्पदा अधिकार यानी आईपीआर की विद्यार्थियों को जानकारी देना है। इसके उद्घाटन समारोह में वक्ताओं ने विद्यार्थियों को बताया कि कैसे हम अपनी बौद्धिक सम्पदा का अपने ही देश में पेटेन्ट करवा सकते हैं।
मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि कार्यशाला में देशभर के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के करीब 350 विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं, ये वे विद्यार्थी हैं जो अपनी बौद्धिक क्षमताओं से नई-नई खोज करने में जुटे हैं। इन्हें कार्यशाला में आमंत्रित विशेषज्ञ और वैज्ञानिक तकनीकी जानकारियां देंगे। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने बताया कि पहले हमारी दादी, नानी, मां, बहन जो भी नई चीजें तैयार करती थीं तो उनका ज्ञान पूरे गांव की महिलाओं को बांटा जाता था लेकिन अब विदेशी तर्ज पर हम अपने ज्ञान का पेटेन्ट कराने लगे हैं ताकि इसे कोई चुराये नहीं। बल्कि इस ज्ञान से कैसे कमाई होगी इसपर ज्यादा विचार-मंथन होने लगा है। बस इसी ज्ञान को पेटेन्ट कराना ही आईपीआर कहलाता है। आईपीआर संवर्द्धन और प्रबंधन प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष की सहायक डॉ. अरुणा तिवारी ने विद्यार्थियों को कॉपीराइट, ट्रेड मार्क्स आदि की तकनीकी जानकारियां दीं। उन्होंने महिला उद्यमियों के लिए खास टिप्स दिये। टेक्नोलॉजी इन्फोरमेशन फॉरकास्टिंग एंड असस्मेंट काउंसिल भारत सरकार के वरिष्ठ वैज्ञानिक टी. चंद्रशेखर ने पेटेन्ट फैसिलिटी सेंटर, भविष्य की कार्ययोजनाओं आदि से अवगत कराया। मेवाड़ लॉ इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल डॉ. संजय सिंह ने आईपीआर की कानूनी जानकारी दी। उद्घाटन समारोह में डॉ. गदिया और डॉ. अलका अग्रवाल ने आमंत्रित वक्ताओं को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर आईपीआर संवर्द्धन और प्रबंधन प्रकोष्ठ की सहायक प्रबंधक दृष्टि खुराना, इंस्टीट्यूट इंक्यूबेशन सेंटर की उपाध्यक्ष एवं कार्यशाला की संयोजिका डॉ. नीतू सिंह आदि समेत मेवाड़ परिवार के सदस्य मौजूद थे। संचालन अमित पाराशर ने जबकि कार्यशाला के समन्वयक अजय कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया।  

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