सरकार नया सपना दे तभी जम्मू
कश्मीर में फेरबदल संभव-कौल
गाजियाबाद। ‘पहले लोगों को संभालना था। सही नीति अपनानी थी। ऐसे में अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम नया सपना जम्मू-कश्मीरवासियों को दें, तभी कुछ फेरबदल संभव है।’ यह विचार प्रख्यात लेखक जवाहर लाल कौल ने ऑनलाइन आयोजित विचार संगोष्ठी में व्यक्त किये। वह ‘कश्मीर-कल और आज’ विषय पर अपने विचार प्रकट कर रहे थे। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस एवं प्रभाष परम्परा न्यास द्वारा यह विचार संगोष्ठी ऑनलाइन आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि सरकार फौज के जरिये आतंकवादी सरगनाओं को दबा सकती है मगर वहां के युवाओं को भारत की सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ नहीं सकती। जम्मू-कश्मीर आज सभी राज्यों में नशीली चीजों के लिए टॉप पर आ गया है। इसे रोकना होगा। हालांकि सरकार की ओर से नशा निवारण केन्द्र भी बने हैं लेकिन वे नाकाफी है। नशाखोरी में हर साल बहुत इजाफा हो रहा है। कश्मीर की साढ़े चार प्रतिशत आबादी नशे की चपेट में है। इनमें से 20 फीसदी महिलाएं चरस का सेवन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार वहां के लोगों से संवाद बनाए। कश्मीरी संभावनाओं को पहचाने। तभी नये कश्मीर का जन्म होगा। इससे एलओसी के पार के लोग भी कश्मीर का हिस्सा बनना चाहेंगे। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि कश्मीर की सही जानकारी सबको नहीं है। हमने कश्मीर के 2200 नौजवानों को शिक्षित किया है, हम कश्मीर के हर क्षेत्र में गये हैं, वहां जाकर देखा है कि आज भी लोग वहां श्लोक बोलते हैं। आराधना का तरीका भी वही है। खान-पान, पहनावे और रिश्तों में भी कोई बदलाव नहीं है।, बस जरूरत है कश्मीरियत को पहचानने और उसे जिंदा रखने की। 99 प्रतिशत मुस्लिमों के श्रद्धा केन्द्र आज भी नहीं बदले हैं। बस वहां के युवाओं को देश व समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है। उन्हें आतंकवाद से बचाकर उन्हें शिक्षित करना होगा। समाजिक स्तर पर लगाव के प्रयास होने चाहिएं। विचार संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय, अच्युतानंद मिश्र, डॉ. चेतन आनंद सहित मेवाड़ परिवार और प्रभाष परम्परा न्यास के सदस्य उपस्थित रहे। अंत में मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र ने किया।