– गांवों की समृद्धि के बिना देश का विकास असंभव-राम बहादुर राय
– भारत दे सकता है पूरे विश्व को अर्थव्यवस्था का नया मॉडल-डॉ. गदिया
– प्रभाष परम्परा न्यास और मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की ऑनलाइन विचार संगोष्ठी आयोजित
गाजियाबाद। राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि वर्ष 2021 से 2030 तक का काल दुनिया को पूरी तरह से बदल देगा। दुनिया डिजिटल वर्ल्ड के नाम से जानी जाएगी। मशीन और तकनीक का युग संवेदनाओं के संसार को लील सकता है। इसे बचाने के लिए हमें अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आर्थिक नीतियों का अनुसरण करना चाहिए। उनकी नीतियों गांवों और शहरों को जोड़ने वाली और आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने वाली हैं। प्रभाष परम्परा न्यास और मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस द्वारा आयोजित विचार संगोष्ठी में उन्होंने ये विचार व्यक्त किये। ‘गांधी जी की आर्थिक नीतियों की प्रासंगिकता’ विषय पर संगोष्ठी ऑनलाइन आयोजित की गई। हरिवंश जी ने आजादी के बाद नेहरू जी द्वारा अर्थवयवस्था में अपनाये गये पश्चिमी मॉडल का उदाहरण देते हुए इसे विनाशकारी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह मॉडल गांवों को समाप्त करने वाला साबित हुआ था। उस दौर में पूंजीवाद और साम्यवाद के विचारों का युद्ध रहा। उस समय गांधी जी ने चेताया था कि ये आर्थिक नीतियां विनाशकारी हैं। उन्होंने आजादी से पहले ही अपने पत्रों में आर्थिक और सामाजिक ढांचे की संरचना की बात कई बार कही थी। भारत का आर्थिक मॉडल क्या होगा, इसपर विस्तार से प्रकाश डाला गया। उन्होंने वर्ष 1928 में ही विदेशी आर्थिक नीतियां अपनाने की मनाही की थी। लेकिन हमने गांधी जी की बातों को दरकिनार किया। जिसका परिणाम पूरी दुनिया के सामने है। साम्यवाद समाप्त हो गया है, पूंजीवाद हावी है। हरिवंश जी ने कहा कि आज तरह-तरह की चुनौतियां खड़ी हैं। इंसान और समाज पर खतरे बढ़ रहे हैं। आज संक्रमण का दौर है। अंधेरे के दरवाजे पर दुनिया खड़ी है। प्राकृतिक संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा दोहन हो रहा है। छठी बार दुनिया विनाश के कगार पर है। इसके लिए हमें गांधी जी के अपरिग्रह, दैवीय नियम, संतोष और त्याग का आदर्श अपनाना चाहिए। गांधी जी की आर्थिक नीति आज भी प्रांसगिक है।
वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी कला केन्द्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि स्वदेशी, स्वावलम्बन, स्वराज्य की परिकल्पना गांधी जी ने की थी। इन्हें ही आज लक्ष्य बनाने की आवश्यकता है। स्वदेशी और स्वावलम्बन अर्थवयवस्था एवं समाज की पुनर्रचना से संबंध रखते हैं। हमारी अर्थवयवस्था की मूल इकाई गांव हैं। इनकी समृद्धि जबतक नहीं होगी देश विकास नहीं कर सकता। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज के विनाशकारी दौर में नई अर्थव्यवस्था को तलाशने की जरूरत है। गांधी जी की आर्थिक नीतियों के जरिये भारत विश्व को नई अर्थवयवस्था का मॉडल दे सकता है। जिससे सबका विकास होगा। सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय का उद्देश्य भी पूरा होगा। अंत में मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने सभी आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त किया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र ने किया। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सहायक निदेशक डॉ. चेतन आनंद ने तकनीकी सहयोग दिया। इस अवसर पर मेवाड़ परिवार के अलावा प्रभाष परम्परा न्यास के सदस्य भी ऑनलाइन संगोष्ठी में मौजूद रहे।