मेवाड़ में समारोहपूर्वक मनाई गई संत रविदास जयंती
-विद्यार्थियों ने संत रविदास के जीवन व आदर्शों पर डाला प्रकाश
गाजियाबाद। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने मेवाड़ ऑडिटोरियम में आयोजित संत रविदास जयंती समारोह में कहा कि कर्मों से ही जातियों का निर्धारण होना चाहिए। संत रविदास चर्मकार थे, बावजूद इसके उन्होंने उच्च कोटि के समाज सुधार के कार्य किये। उन्होंने अपने कर्मां से साबित कर दिया कि जाति से कर्म नहीं, कर्म से जाति होती है। कर्मों से ही आपका आंतरिक विकास होता है और आप श्रेष्ठ जीवन जीने के हकदार बनते हो। डॉ. गदिया ने बताया कि संत रविदास कुरीतियों, अंध विश्वास व रुढ़ परम्पराओं के खिलाफ थे। उन्होंने तमाम अंध विश्वासों व विरोधों को समाप्त कर स्त्री शिक्षा पर जोर दिया। वर्ण व्यवस्था, अंधविश्वास, रुढ़ परम्परा, लोभ, मोह आदि का त्याग करने की बात कही। उनके भक्तिभाव से प्रभावित होकर चित्तौड़ की महारानी मीरा उनकी शिष्या बन गईं। संत रविदास से शिक्षा लेकर मीरा कृष्णभक्ति में लीन हुईं। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि संत रविदास कबीर के निकट रहे। कबीरदास ने उन्हें संतों के सिरमौर बताया। आज हमें संत रविदास के जीवन से प्रेरणा लेकर जातिगत भेदभाव को मिटाना होगा। अपना दृष्टिकोण और व्यापक बनाना होगा। समारोह की शुरुआत मां सरस्वती, भारत माता व संत रविदास के चित्र के समक्ष दीप जलाकर व पुष्प अर्पित करके हुई। इस मौके पर विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना, भजन, समूह गान, सम्भाषण, कविताएं आदि प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। इस मौके पर मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल समेत तमाम शिक्षण स्टाफ मौजूद था।