बसंत पंचमी पर विशेष-
छह ऋतुओं में से सबसे खूबसूरत ऋतु बसंत ऋतु है। ये ही ऋतु एक ऐसी है जो मन में अनेक उल्लास पैदा करती है और इसका ख्याल आते ही मन में रोमांचित कर देने वाली भावनाएँ उभरने लगती हैं। बसंत ऋतु से सम्बन्धित बहुत-सी पौराणिक कथाएँ हैं। कहीं इसे धर्म से जोड़ा जाता है, कहीं इसे सबसे सुहावने मौसम के रूप में परिलक्षित किया जाता है, कहीं खेतों में पैदा होने वाली विभिन्न फसलों से जोड़ा जाता है।
बसंत आते ही सरसों के खेत लहलहाने लगते हैं। आम पर बोर आने लगते हैं। फूल खिलने लगते हैं और तितलियाँ मंडराने लगती हैं। यह बहुत ही खुशनुमा मौसम होता है। हर दिल झूमने और गुनगुनाने लगता है। सभी लोगों की यह पसंदीदा ऋतु होती है। इसलिए इसे ऋतुराज भी कहा जाता है। बसंत प्रकृति का उत्सव है। इसे श्री पंचमी के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
जिस प्रकार मनुष्य में यौवन आता है, उसी प्रकार बसंत भी सृष्टि का यौवन है। बसंत पंचमी के दिन शिक्षा की देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है, बसंत के दिन ही ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का, जिससे एक अद्भुत शक्ति का जन्म हुआ, जिसके चार हाथ थे, एक में वीणा, एक में किताब, एक में माला और एक हाथ वर की मुद्रा में था और उस शक्ति का नाम ही सरस्वती पड़ा। इसलिये बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी राज्यों में बसंत पंचमी अपने-अपने तरीके से मनाई जाती है। आंध्र प्रदेश में इसे ऋर्षि पंचमी के नाम से जाना जाता है। माँ सरस्वती के अलावा इस दिन कामदेव और रति को भी बहुत महत्व दिया जाता है। बसंत पंचमी प्यार और मानवीय भावनाओं से जुड़ा हुआ है। इस दिन पीले वस्त्र धारण किये जाते हैं, पीला ही मोदन किया जाता है और पीली वस्तुएँ ही उपहार स्वरूप एक-दूसरे को दी जाती हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में बसंत नदियों में स्नान करके शिव-पार्वती का पूजन करते हैं।
उत्तर भारत में शिशुओं की शिक्षा आरम्भ के लिये भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पूरा वातावरण आनन्दित होता है, सरल ओर सौम्य होता है, मनुष्य तो अति आनन्दित होते ही हैं, पक्षी भी इस दिन बहुत प्रसन्न होते हैं और इस अनुकूल वातावरण में कोयल अपने कण्ठ से मधुर गीत गाती हैं, मंद-मंद हवाएँ चलती हैं, बसंत ऋतु में पेड़, पौधे, प्रकृति अपना अनूठा रूप प्रस्तुत करती है। बसंत पंचमी के दिन गरीब विद्यार्थियों को पुस्तक आदि विद्या से सम्बन्धित चीजें दान करनी चाहिएं। इस दिन शक्तियों का पुनर्जागरण होता है। इस दिन विवाह करना और गृहप्रवेश व वाहन खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन प्रभु श्रीराम शबरी के पास पहुँचे थे और उनके झूठे बेर खाये थे, वह दिन भी बसंत पंचमी का ही था। इतिहास में भी बसंत पंचमी से जुड़े किस्से हैं। पृथ्वी राज चौहान का भी इस दिन से सम्बन्ध था। लाहौर निवासी वीर हकीकत राय का भी इस दिन से गहरा सम्बन्ध है, यह दिन गुरु रामसिंह कूका की भी हमें याद दिलाता है। राजा भोज का जन्म दिवस भी बसंत पंचमी को ही आता है। बसंत पंचमी पर हिन्दी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का भी जन्म दिवस होता है। बसंत पंचमी का दिन हर तरह से ही बहुत शुभ माना जाता है और इसका बहुत महत्व है। ये भी कहा जाता है कि इस दिन जिनका जन्म होता है वे बहुत आगे बढ़ते हैं।
लेखिका
डॉ. अलका अग्रवाल
निदेशिका, मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स
वसुंधरा गाजियाबाद
|
|