सलवान पब्लिक स्कूल, गुरुग्राम में “हिन्दी भाषा उत्सव” 
सलवान पब्लिक स्कूल, गुरुग्राम में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ‘हिन्दी भाषा उत्सव’ के चौथे दिन 16 सितंबर  2021 को डॉ. चेतन आनंद, सुविख्यात कवि, सहायक निदेशक, मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीटूशन्स , गाजियाबाद को संगोष्ठी के लिए आमंत्रित किया गया जिसका विषय था ‘कविता की पाठशाला’. कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्ज्वलित कर  विद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना नृत्य द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन कक्षा नवमी की छात्रा सारा खान ने बहुत काव्यात्मक ढंग से किया, तत्पश्चात कक्षा सातवीं के छात्र रानेश चाँदना ने डॉ. चेतन आनंद का स्वागत कर विस्तृत परिचय दिया। डॉ. चेतन आनंद ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यहाँ मौजूद प्रत्येक बच्चा कल का प्रेमचंद, बच्चन और  महादेवी वर्मा है। उन्होंने कहा की छात्र मिट्टी के लौंदे होते हैं, जिन्हें एक कुशल शिक्षक ही सुंदर मूर्ति में तराशता है,यह उपयुक्त समय होता है कि उनकी कलम को उनकी सोच को सकारात्मक दिशा व ज्ञान दिया जाए. उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे गुरु बनें वही गुरु जो परमहंस जी, जिन्होंने विवेकानंद को निखारा था। डॉ. चेतन ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि, वे लिखें। छात्र अपने भीतर सकरात्मकता लाएँ। अच्छा सोचें, अच्छा लिखें। हमारे संस्कार अच्छे होंगे तो परम्पराएँ अच्छी होंगीं। अच्छे कार्य अच्छी आदतों को जन्म देते हैं। तथ्य इकठ्ठा कीजिए, जो दस्तावेज़ बनाते हैं और इन्हीं दस्तावेजों से इतिहास की रचना होती है। 
डॉ. चेतन ने छात्रों को पहल करने की प्रेरणा काव्य के माध्यम से दी –
“खामोश हम रहे तो पहल कौन करेगा?
उजड़े चमन में फेर-बदल कौन करेगा?” 
छात्रों को  लिखते रहने  को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा- 
“हैं समस्याएँ बहुत पर सामना करते रहो।
बदशक्ल चेहरों के आगे आईना करते रहों।” 
डॉ. चेतन ने छात्रों को दोहे व चौपाई के बारे में बताया। उन्होंने  छात्रों से सरल शब्दों में लिखने को कहा। शब्द सरल हो तभी वह लोगों को समझ आएंगे। उन्होंने छात्रों से कहा की हिन्दी को विस्तार दें। अधिक से अधिक इसका प्रयोग करें। अपने हस्ताक्षर हिन्दी में करने की पहल करें। डॉ. चेतन आनंद ने अपने जीवन  के अनुभव द्वारा गुरु शिष्य रिश्ते व पम्परा से  अवगत कराया और साथ ही ‘गुरु- शिष्य’ के संबंधों की प्रगाढ़ता को भी दर्शाया | अपने गुरु स्वर्गीय ‘श्री कुँवर बेचैन’ जी के बारे में बताते हुए वे अत्यंत भावुक हो गए और उनकी आँखे छलछला आईं |  उन्होंने छात्रों को गुरु द्वारा दिये गए 5 व दस रुपये के नोट दिखाये जो प्रशंसा स्वरूप उन्हें गुरुजी ने अपने हस्ताक्षर करके दिये थे। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे गुरु के संरक्षण में रहें। ध्रुव गौर द्वारा प्रश्न पूछने पर की आपकी पहली रचना कौन सी थी तो डॉ. चेतन ने बताया उनकी पहली रचना ‘किसान की बेटी’ थी। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे अच्छे कर्म करें। खूब पढ़े-लिखें। जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए आज का कार्य कल पर न टालने की सलाह दी और निरंतर प्रयासरत रहने के लिए कहा | कर्म की प्रधानता को महत्त्व देते हुए उन्होंने बताया कि भाग्य तो हमारे जीवन के साथ तक रहता है और हमारा कर्म जीवन के बाद भी अमर रहता है | जब हम न होंगे तब हमारे द्वारा किए गए कार्य के द्वारा हम जाने व पहचाने जाएंगे अतः अच्छे कर्म करो| लगन मांगलिक कक्षा नवमीं की छात्रा ने डॉ. चेतन को अपने लेखन का गुरु बताते हुए कहा  कि उनके गत वर्ष आगमन के बाद ही वह कविता लेखन की ओर अग्रसर हुईं हैं व आगे भी लिखते रहना चाहती हैं. डॉ चेतन लगन को व अन्य रचनाकारों को  ढेरों बधाई व शुभकामनाएं दीं व लिखते रहने के लिए प्रेरित कर आश्वासन दिया की जब भी ज़रूरत होगी वह बच्चों का मार्गदर्शन करेंगे.  कक्षा आठवीं की अनिका गौतम व कक्षा नवमीं की तनुश्री संसवाल ने भी प्रश्न किये जिनका उत्तर डॉ. चेतन ने बहुत स्नेह व सहज भाव से दिया. अंत में स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती रश्मि मलिक ने एक वर्ष पूर्व का दिन याद करते हुए डॉ. चेतन को  धन्यवाद दिया व आभार प्रकट करते हुआ बताया कि आपके  प्रोत्साहन स्वरुप  छात्रों में हिन्दी कविता लिखने  की  रुचि उत्पन्न हुई है व कई छात्र कवितायें लिखने लगे हैं व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकें हैं. प्रधानाचार्या ने हिंदी विभाग को इस प्रकार के आयोजन के लिए बधाई व शुभकामनाएँ दीं. कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. सविता उपाध्याय  ने डॉ चेतन से कहा कि आपके  “काव्य पाठ, कविता की पाठशाला”  व आपके  सारगर्भित व्याख्यान, बहुमूल्य परामर्श से न सिर्फ हमारे विद्यार्थी बल्कि हमारे अध्यापक भी लाभांवित हुए। आपकी प्रस्तुति सराहनीय व अतुलनीय रही है ,भविष्य में भी विद्यालय परिवार के लिए सहयोग देने व बच्चो का मार्गदर्शन का आग्रह किया. डॉ. सविता ने इस कार्यक्रम को सफल स्वरूप प्रदान करने के हिन्दी विभाग के डॉ. संजय कुमार, डॉ मनोज तिवारी, श्रीमती कीर्ति भटनागर, श्रीमती रश्मि मनचंदा, श्रीमती राखी यादव, श्रीमती आशा दूबे, श्रीमती दीपा सेठी ,श्रीमती मोनिका , श्रीमती पम्मी का धन्यवाद व्यक्त किया व भागीदारी निभा रहे सभी विद्यार्थियों को सफल आयोजन के लिए बधाई व शुभकामनाएँ दीं.
News Reporter

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