साहित्यिक सन्त थे महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन-चेतन आनंद 

“यह दुनिया सूखी मिटटी है तू प्यार के छींटे देता चल।”

उदयपुर। ग़ाज़ियाबाद से उदयपुर पधारे कवि व पत्रकार डॉ. चेतन आनंद ने कहा कि उनके गुरुदेव डॉ. कुँअर बेचैन साहित्यिक सन्त हैं। जिनके लेखन ने हिंदी साहित्य को और अधिक समृद्ध किया। डॉ. चेतन आनंद ने अपने सम्मान में आयोजित विशेष काव्य गोष्ठी में यह बात कही। उन्होंने उदयपुर के कवियों के निवेदन पर अपने गुरुदेव की कालजयी कविताओं के अलावा अपनी कविताओं का काव्य पाठ किया। उदयपुर नगर के कवि पण्डित आईना उदयपुरी जी के निवास स्थान पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता नगर के वरिष्ठ शायर इकबाल हुसैन इकबाल ने की। विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध शायर दीपक नगाइच रोशन रहे। कवि विजय मारू एवं साहित्य प्रेमी पेंटर गोविंद लाल ओड़ आदि ने काव्य गोष्ठी में भाग लिया। इस दौरान अतिथियों द्वारा काव्य गोष्ठी में स्वर्गीय डॉ कुँअर बेचैन जी को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई तथा उनके द्वारा लिखी गई कविताओं एवं रचनाओं को  काव्य गोष्ठी में पढ़ा गया। “यह दुनिया सूखी मिटटी है, तू प्यार के छींटे देता चल।” अपने गुरु डॉ कुँअर बेचैन के अमर गीत की ये पंक्तियाँ सुनाते-सुनाते  मुख्य अतिथि कवि चेतन आनंद की आँखों से बहे अश्रु सभी को भावुक कर गए। काव्य गोष्ठी में पण्डित आईना उदयपुरी  ने मुख्य अतिथि को “जुदा होना पड़ा” पुस्तक भेंट की और उनका पुष्प मालाओं से व पटका पहनाकर सम्मान किया। धन्यवाद की रस्म साहित्यप्रेमी गोविंदलाल ओड़ द्वारा अदा की गई।

 

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