भारत को कर्मभूमि और धर्मभूमि मानने वाला ही सच्चा भारतवासी
– विद्यार्थियों ने प्रस्तुत किये वीर सावरकर के जीवन पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम
गाजियाबाद। मेवाड़ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के शिक्षा विभाग ने आनलाइन वीर सावरकर जयंती आयोजित की। इसमें इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि वीर सावरकर समाज व देश के हित में सोचते थे। जातिविहीन समाज की रचना करना चाहते थे। दलितों, शोषितों व पीड़ितों को हरिजन कहने के पक्षधर थे। सावरकर सैनिकों का शस्त्रीकरण करने के पक्षधर थे। उनका मानना था कि युवाओं को आज नौकरियां मिलें, यह तो जिंदगी का एक सफल मकसद हो सकता है मगर देश और समाज के लिए युवाओं को प्रेरित कर सकें, यह एक शिक्षक का काम है। मेवाड़ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस इसी भावना को मिशन के रूप में लेकर निरंतर कार्यरत है। डाॅ. गदिया ने वीर सावरकर के जीवन के अनेक संदर्भों को शब्दचित्र के जरिये रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यातनाएं सहने से कभी नहीं डरना चाहिए। यातनाएं सहने वाला लम्बी आयु जीता है। वीर सावरकर का जीवन इसका एक सशक्त उदाहरण है। उन्होंने कहा कि जो नागरिक कर्मभूमि और धर्मभूमि मानकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करता है, वही सच्चा भारतीय है। मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल ने कहा कि कोरोनाकाल में जहां समाज संवेदनहीन होता जा रहा है, वहां क्रांतिकारियों की जयंतियां मनाना एक सुखद चुनौती है। उन्होंने विद्यार्थियों व मेवाड़ परिवार के सदस्यों से कहा कि मुश्किल दौर में सब एक-दूसरे का साथ दें। यही सच्ची मानवता है। विद्यार्थियों ने सम्भाषण, कविताएं, समूह गान प्रस्तुत कर आनलाइन कार्यक्रम में चार चांद लगा दिये। इस अवसर पर मेवाड़ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस का समस्त स्टाफ मौजूद रहा।
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