नई पीढ़ी के नाम सुप्रसिद्ध कवि सुमनेश सुमन का ज़रूरी और महत्वपूर्ण संदेश, अवश्य पढ़ियेगा
प्रणाम,
अनेक बार सोचा कुछ लिखूँ पर यूँ ही टल जाता है,,   , बहुत सारी बातें, प्रश्न मन में उठते हैं,, कभी कभी सोचता हूँ कि हमारी आने वाली पीढ़ी किस् दिशा में जा रही है,, बहुत से लोगों ने यह भी  लिखा है कि जितना परिवर्तन हमारी पीढी के लोगों ने देखा है उतना शायद  और किसी ने नही देखा होगा, दोस्तो, संयुक्त परिवारों की परंपरा तो कब की टूट चुकी है,, सब परिवार सीमित हैं.. सब परिवार  एकाकी हो गए हैं.. समय की यही  आवश्यकता भी है कि हमे अपने कार्य- जीवन के कारण अपने अपने पैतृक स्थान को छोड़ कर अपने कार्यो के लिए बाहर की ओर निकलना ही  पड़ता है—- पुराने समय के लोगों के साथ या हमारे बुजुर्गों के साथ  बैठने का समय हमारे छोटे बच्चों के या आने वाली पीढी के पास अब  नही रहा ,, यह कोई आरोप नही एक सच्चाई है,,.हमारी पीढी तक के लोगों ने अब तक सभी  पारिवारिक व सभी परस्पर- साम्बंधिक दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ अच्छी  तरह से किया है,,  आने वाली पीढी इन्हें कैसे निबाहेगी —  ये अब न किसी के पास इन बातों को बताने का समय है न ही सुनने  का— लेकिन एक बात जो  बहुत ही आवश्यक है- और   वे हैं हमारे पुरातन  संस्कार, जिनके बल पर हमारे जीवन के समस्त कार्य कलाप निर्धारित होते हैं.. ध्यान रहे,, उन संस्कारों की पाठशाला हमारा घर हमारा  परिवार ही है,, मेरा कहना तथा मानना भी  है कि —- अभी समय है   – नई पीढी का  हाल -संभाल अभी  कर लो,, .. , देखिये हमारी पीढी के लोग तो अपना समय पूरा कर ही जायेंगे  पर हमें भय है कि अगली एकाधिक पीढी के बाद  हमारे देश में भी पाश्चात्य देशों वाली “OLD AGE HOME’  परंपरायें फूलने फलने लगेंगी…  मेरा अपनी पीढी, अपनी उम्र के लोगों से यही कहना है कि  — जिस जगह कुछ भी गलत देखो,  अपना दखल  कर दो,, आप जब भी  कहीं किसी भी स्थान पर  किसी के लिए अच्छा करने का प्रयास करोगे ,,आपके लिए अपने स्थान पर  कहीं स्वयम ही अच्छा होने लगेगा.. 
हमारे वरिष्ठ कवि, शिशुपाल सिंह निर्धन जी की पंक्तियाँ हैं  , – 
, आग का अपना- पराया क्या.. 
– तुम जहाँ देखो लगी, उसको बुझाओ..||
दोस्तो  — जीवन मे अपना दखल बनाये रखो, अपने जीवित होने का प्रमाण भी देते रहो वरना अंत मे तो सब कुछ मुर्दा ही, मिट्टी ही हो जाना है.., ध्यान रहे कि हमे हमारी ज़िम्मेदारी बताने अब कोई आने वाला नही है.. 
— आने वाला समय या भविष्य  तो हम पर आप पर आरोप मढ़ने के लिए तय्यार बैठा है, इसलिए आज से ही अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए चलो.  … कहीं साहिर लुधियानवी साहब ने लिखा है.– माना कि इस जहान को, 
गुलशन न कर सके.. 
— काँटे ही कुछ कम कर दिये,, 
– गुजरे जिधर से हम. 
धन्यवाद. 
सुमनेश सुमन.
  –
News Reporter

2 thoughts on “नई पीढ़ी के नाम सुप्रसिद्ध कवि सुमनेश सुमन का ज़रूरी और महत्वपूर्ण संदेश, अवश्य पढ़ियेगा

  1. उत्कृष्ट चिंतन के लिए युगकवि को साधुवाद।

  2. बिलकुल प्रासंगिक बातें कही हैं सुमनेश सुमन जी ने

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