प्रेमाग्रह
ये जिं़दगी जब उस मोड़ पर होगी
जहाँ भरभरा कर गिरने का भय होगा,
तुम मौजूद रहना उस वक्त,
सम्हाल लेना मुझे, बढ़ा देना हाथ
खींच लेना फिर से उस तरफ
जहाँ निराशाओं को पीछे धकेलती हुई
झूमती खिलखिलाती आशाएँ हों
तुम्हारा वो प्रेमाग्रह शायद
मुझे जीने की नयी दिशा और
कुछ मोहलत दे सके……
तुम्हारी आँखों से झलकता
मौन संकेत, हमारे रिश्ते और
आत्मीयता को कुछ और
अनुबंध दे सके …
जिसमें आमंत्रण समर्पण और
आग्रह के मिले-जुले भावों
का समावेश हो…..
हमारी बूढ़ी होती काया, शायद
जीवन के कुछ और मधुमास
अपनी आँखों में समेटे बढ़ चले
उम्मीदों भरी एक नयी भोर की ओर।
मैं तुम्हारी साधना हूँ
चलो स्वीकार कर लो
मुझे अंगीकार कर लो
प्यास बुझा दो अंतर मन की
इतना प्रियतम प्यार कर लो।
मैं तुम्हारी साधना हँू
गीत चिंतन प्रेरणा हँू
सपनों को साकार कर लो
तुम मुझे स्वीकार कर लो
तुम मेरे अधरों का गुंजन
मैं छवि तुम मेरा दर्पण
छू के तुम दीदार कर लो
तुम मुझे स्वीकार कर लो
धूल हँू अंबर बना दो
मन की सब कलियाँ खिला दो
मुझपे सब अधिकार कर लो
तुम मुझे स्वीकार कर लो
बहुत सुंदर रचनाएं(दोनो)
अनेकानेक शुभकामनाएं।