नोएडा। हालिया सामने आए आंकड़े बताते हैं कि डॉक्टर्स के क्लिनिक पर हाई ब्लड प्रेशर डायग्नोस होने वाले 15 से 30 प्रतिशत मरीजों को व्हाइट कोट हायपरटेंशन होता है। अतः इसे लेकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। जबकि व्हाइट कोट हायपरटेंशन वास्तविक स्थिति का अग्रदूत बन सकता है। इससे व्यक्ति के दिल की बीमारियों की चपेट में आकर मृत्यु होने की आशंका बढ़ जाती है। व्हाइट कोट हायपरटेंशन का उपचार नहीं करने की स्थिति में दिल की बीमारियों से मृत्यु की आशंका 100 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। हायपरटेंशन एक डिसऑर्डर को परिभाषित करता है, जिसमें हाई ब्लड प्रेशर डॉक्टर्स की मौजूदगी में पता चलता है। यह स्थिति तनाव लेने के कारण हो सकती है। यह आवश्यक है कि नियमित रूप से ब्लड प्रेशर को मॉनिटर किया जाए और दिनचर्या में आवश्यक परिवर्तन किए जाएं, इससे जोखिम कम होगा। इस संबंध में कैलाश हॉस्पिटल एवं हार्ट इंस्टीट्यूट नोएडा के सीनियर इन्टरवेंशनल कार्डियोलाजिस्ट डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि ब्लड प्रेशर में व्यापक उतार-चढ़ाव हार्ट डिसिज और जल्द मृत्यु के खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि व्हाइट कोट हायपरटेंशन का पता चलने पर तुरंत इसका उपचार किया जाए, क्योंकि यह हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ा सकता है। ब्लड प्रेशर की दवाई लेने वाले मरीजों पर किए गए व्यापक अध्ययन से पता चलता है कि डॉक्टर से मिलने के बीच सिस्टोलिक बीपी की गणना में 14 एमएमएचजी से अधिक का वेरिएशन हार्ट फैलियर की आशंका को 25 प्रतिशत तक बढ़ा देने से सीधे तौर पर जुड़ा है। यह वेरिएशन आर्टरिज एवं किसी नुकसान विशेष का संकेत हैं, इसलिए तुरंत उपचार और प्रबंधन आवश्यक है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि दिन और रात में ब्लड प्रेशर का मूल्यांकन सभी कार्डियोवेस्क्यूलर बीमारियों की भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण है। किसी के सोते समय लिया गया ब्लड प्रेशर का माप अधिक सटीक होता है, बनिस्पत कामकाज के समय लिए जाने वाले माप से, यह माप मृत्यु के कारणों का पता लगाने में अधिक सटीक हो पाता है। हायपरटेंशन का पता लगाने के लिए एम्बूलटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग या एबीपीएम को वैश्विक तौर पर गोल्ड स्टैंडर्ड मैथर्ड माना गया है, क्योंकि यह लगातार 24 घंटे तक मरीज का बीपी मापकर व्हाइट कोट हायपरटेंशन को मापने मे मदद करता है। सटीक डायग्नोसिस से यह संभव है कि हार्ट डिसिज और इससे संबंधित जोखिमों को कम किया जा सके। ऑटोमेटिक डिवाइस के साथ रीडिंग लेते समय व्यक्ति को कमरे में अकेला भी छोड़ा जा सकता है। इस तरीके से एक क्लिनिक में आसपास के माहौल से बढ़ने वाले तनाव को कम कर अधिक सटीक माप लिया जा सकता है। दवाइयों एवं जीवनशैली में परिवर्तन लाकर हम हायपरटेंशन वाले मरीजों में कार्डियोवेस्क्यूलर बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं। जिनमें जोखिम बढ़ जाते हैं, उन्हें आवश्यक उपचार लेना चाहिए। एन्जियोप्लास्टी का उपयोग रक्त प्रवाह को पुनः बनाने में होता है। इस प्रक्रिया में एक लंबी, पतली ट्यूब (कैथेटर) आर्टरी के सिकुड़े हुए हिस्से में डाली जाती है। एक पतले तार की जाली (स्टंट) को एक गुब्बारे पर रखकर कैथेटर से सिकुड़ी हुई आर्टरी में डालकर गुब्बारे को फुलाया जाता है, यह संकुचित आर्टरी की दीवारों पर स्टंट को संकुचित आर्टरी में छोड़ देता है। ड्रग मिले हुए स्टंट दवाई छोड़ते हैं और संकुचित आर्टरी को ठीक करने की प्रक्रिया में मदद करते हैं। सीएबीजी में सर्जन एक ब्लॉक्ड कारेनरी आर्टरी को शरीर के दूसरे हिस्से से वेसल का उपयोग कर ग्राफ्ट कर बायपास कर देते हैं। इससे ब्लॉक्ड या संकुचित आर्टरी में रक्त प्रवाह होने लगता है।
हाई ब्लड प्रेशर को रोकने एवं प्रबंधित करने के उपाय
-हेल्दी डाईट मेंटेन करें- अधिक वजन वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना दो से छह गुना तक होती है। कम वजन घटाने से भी हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।
-एक्टिव रहें- शारीरिक गतिविधि लगातार रहनी चाहिए जैसे कि ब्रिस्क वाकिंग। कम से कम 30 मिनट प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए। इससे भी हाई ब्लड प्रेशर का खतरा कम हो जाता है।
-नमक का उपयोग कम करें- नमक का वजन कम करने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ना रुकता है। प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम करते हुए डाईटरी साॅल्ट का उपयोग घटाना चाहिए। इससे आप ब्ल्ड प्रेशर घटाने में लंबा सफर तय कर सकते हैं।
-माॅडरेशन में ड्रिंक करें- अधिक शराब का सेवन ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है। इसका उपयोग दो प्रतिदिन पुरुष एवं एक प्रतिदिन महिला के मान से किया जाना चाहिए।
तनाव घटाएं- तनाव ब्लड प्रेशर का बड़ा कारण है, योग एवं ध्यान जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर तनाव घटाना चाहिए।