यशोदा हॉस्पिटल कौशांबी में मनाया गया वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे
इंटरनेशनल पेशेंट सेफ्टी गोल्स पर हुई चर्चा

सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी गाजियाबाद मैं एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम का उद्देश्य मरीजों को एवं उनके तीमारदारों को ऐसे सरल उपाय बताना था जिससे वे अपने आपकी एवं अपने मरीज की सुरक्षा कर सकें उल्लेखनीय है कि डॉक्टर के द्वारा दिए गए इलाज के अलावा भी बहुत सारे ऐसे बिंदु होते हैं जिन पर ध्यान रखा जाए तो मरीज को जल्द से जल्द स्वस्थ होने एवं भविष्य में होने वाली कई प्रकार के संक्रमण एवं अन्य समस्याओं से बचाया जा सकता है, इसी विषय पर आज यशोदा हॉस्पिटल के प्रांगण में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉक्टर प्रगति गुप्ता, डॉ रूचि एवं पेशेंट केयर ट्रेनर पूजा ने लोगों को संबोधित किया. डॉ प्रगति गुप्ता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में मरीजों की सुरक्षा और सही देखभाल के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इस वर्ष 17 सितम्बर को पहले विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, जिससे इस मुद्दे की गंभीरता के प्रति विश्व का ध्यान केंद्रित किया जा सके । इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ रोगियों के साथ एकजुटता के लिए एक अभियान भी शुरू करने जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के प्रति उदासीनता के चलते हर वर्ष दुनिया भर में लाखों मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है । जहां इसके परिणामस्वरूप अमीर देशों में हर 10 में से एक मरीज को नुक्सान उठाना पड़ता है । वहीं दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते है कि भारत जैसे मध्यम और निम्न आय वाले देशों में सही देखभाल न मिलने के कारण हर वर्ष 26 लाख मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है । जिनमें से ज्यादातर मौतों को सही उपचार के जरिये टाला जा सकता है । जबकि इसके चलते 13.4 करोड़ लोगों को किसी न किसी रूप से चाहे वो धन संबंधी हो या स्वास्थ्य संबंधी, हानि उठानी पड़ती है। डॉ रूचि ने कहा कि इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि स्वास्थ्य की देखभाल करते समय किसी भी मरीज को नुकसान नहीं होना चाहिए । हालांकि इसके बावजूद वैश्विक स्तर पर, असुरक्षित देखभाल के चलते हर मिनट कम से कम 5 रोगियों की मृत्यु हो जाती है। उन्होंने कहा कि “हमें एक ऐसी संस्कृति को विकसित करने की जरुरत है जो मरीजों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच साझेदारी को बढ़ावा दे । जिसमें जवाबदेही हो और एक ऐसा वातावरण हो जिसमें दोषारोपण की जगह स्वास्थ्य कार्यकर्ता भयमुक्त होकर ईमानदारी से अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकें और उनसे सीख सके । साथ ही जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की गलतियों को कम करने के लिए उन्हें सशक्त और प्रशिक्षित किये जाने पर बल दिया जाता हो ।” पेशेंट केयर ट्रेनर पूजा ने बताया यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी गाजियाबाद में हम इंटरनेशनल पेशेंट सेफ्टी गोल्स (अंतर्राष्ट्रीय रोगी सुरक्षा लक्ष्य)को फॉलो करते हैं जिसके तहत 6 बातों का ध्यान रखा जाता है, जिनमें पहला है कि पेशेंट जैसे ही हॉस्पिटल में एडमिट होता है उसके हाथ में एक आईडी बैंड बांधा जाता है जिस पर उसका यूनिक नंबर होता है और उसकी कैटेगरी के हिसाब से उसकी कलर कोडिंग की जाती है दूसरा है कि मरीज से एवं उनके रिश्तेदारों से ठीक तरह से उचित जानकारी प्रदान की जाए चाहे वह इलाज बीमारी या हॉस्पिटल में भर्ती से लेकर इलाज के दौरान तक किसी भी प्रकार की हो हर प्रकार की जानकारी को विस्तार से बताया जाता है एवं रोगियों के उत्तरदायित्व एवं उनके अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी जाती है. तीसरा है ऐसी दवाएं जिनके उपयोग में जोखिम हो सकता है जैसे मिलते जुलते नाम की दो दवा, मिलते जुलते नाम की दवा को मरीज गलती से ले सकता है इसलिए उसकी विशेष सावधानी रखने पर जोर दिया गया, चौथा है मरीज का इलाज या सर्जरी जिस शरीर के भाग से संबंधित हो उसी भाग का इलाज या सर्जरी की जाए इस हेतु सुचारू रूप से सर्जरी की जगह को चिन्हित करना परमानेंट मार्कर से उस पर निशान लगाना जिससे ऑपरेशन थिएटर में कोई गलती ना हो,  पांचवा बिंदु जिस पर चर्चा की गई वह था की मरीज को जो बीमारी है उसके अलावा हॉस्पिटल में रहते हुए कोई नई बीमारी और ना हो जाए इसे तू सबसे पहले हैंड रब या हैंड सैनिटाइजर के प्रयोग पर बल दिया गया और लोगों को हैंड सैनिटाइजर कब इस्तेमाल करना और कैसे इस्तेमाल करना इसके बारे में सिखाया गया, उल्लेखनीय है कि हैंड सेनीटाइजर के उपयोग से एक मरीज से दूसरे मरीज या मरीज से रिश्तेदार में होने वाली बीमारियों को बहुत हद तक कम किया जा सकता है. छठे लक्ष्य के बारे में चर्चा करते हुए पूजा ने बताया की मरीज को हॉस्पिटल अथवा घर में गिरने से बचाना एक बहुत बड़ा सुरक्षा का लक्ष्य है इस हेतु हॉस्पिटल में व्हील चेयर स्ट्रेचर एवं पेशेंट बेड सब जगह सेफ्टी बेल्ट का उपयोग किया जाता है इसी प्रकार से हम अपने घरों पर वृद्धजनों एवं मरीजों को सेफ्टी बेल्ट से बेड पर बांधकर उनको गिरने से बचा सकते हैं विशेषकर रात के समय में , साथ ही इस बात पर भी चर्चा हुई कि जहां पर उस कमरे की रात में एक ना एक छोटी लाइट जरूर जलनी चाहिए

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