मेवाड़ में ‘भारत-नेपाल के बीच कानूनी दृष्टि से रिश्ते’ विषय पर सेमिनार आयोजित
बार कौंसिल आफ दिल्ली का प्रतिनिधिमंडल नेपाल जाने को तैयार
गाजियाबाद। नेपाल हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस डॉ. सलाहुद्दीन अख्तर सिद्दीकी ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संवाद बढ़ाने की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच लीगल और ज्युडीशियल सिस्टम के बारे में जन सामान्य को जागरूक करने की दिशा में बार और सरकार को मिलकर काम करना चाहिए। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस ने रसम संस्था की मदद से नेपाल-भारत संबंध विधि एवं न्याय विषय पर चलाये जा रहे शांति एवं विकास अभियान के अंतर्गत एक सेमिनार आयोजित किया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डाॅ. सलाहुद्दीन अख्तर सिद्दीकी ने ये विचार प्रकट किये। उन्होंने कहा कि खुले बॉर्डर के प्रबंधन में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ त्वरित उपायों की आवश्यकता है, ताकि जन सामान्य को परेशानी न हो व असामाजिक तत्वों को बढ़ावा न मिले। व्यापार एवं परिवहन को भी व्यवस्थित करते हुए इसे बढ़ाने की आवश्यकता है। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के प्रेसिडेंट केसी मित्तल ने कहा कि दोनों देशों की बार और सरकार को मिलकर इन विषयों पर आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट बार कौंसिल का एक प्रतिनिधिमंडल नेपाल जाकर इसका अध्ययन करने के लिए तैयार है। इस अवसर पर मेवाड़ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल व रसम के संयोजक संदीप त्यागी ने नेपाल-भारत के पुराने संबंधों का वर्णन करते हुए साझी संस्कृति-साझी विरासत के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही एकता एवं आपसी सामंजस्य द्वारा नेपाल-भारत मैत्री को और बलवान करने की दिशा में काम करने की महती आवश्यकता बताई। उन्होंने शांति एवं विकास के इस मिशन में आपसी सहयोग को बढ़ाकर दोनों देशों के बीच बढ़ रहे असंतोष को कम करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। ताकि दोनों देशों के हित में खुशहाली व समृद्धि आ सके। सेमिनार में मौजूद विधि विभाग के विद्यार्थियों ने उपस्थित अतिथियों से अनेक सवाल भी किये, जिनके उन्हें संतोषजनक जवाब मिले। इससे पूर्व डाॅ. अलका अग्रवाल ने डाॅ. सलाहुद्दीन सिद्दीकी व केसी मित्तल का मेवाड़ की ओर से पुष्पगुच्छ व स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया। अंत में उन्होंने सभी आगंतुकों का आभार भी जताया। सफल संचालन सुमेधा गंजू ने किया।