मेवाड़ में ‘महिला साइबर क्राइम’ पर विचार संगोष्ठी आयोजित
वरिष्ठ अधिवक्ता व स्तम्भकार नंदिता झा ने लोगों को साइबर क्राइम की दी जानकारी
गाजियाबाद। वरिष्ठ अधिवक्ता व स्तम्भकार नंदिता झा ने कहा कि महिलाएं अपने पर होने वाले साइबर अपराध को सहन न करें, छिपायें नहीं, बल्कि पुलिस के साइबर सेल में इसकी रिपोर्ट तुरंत दर्ज कराएं। पुलिस की साइबर सेल को निर्देश हैं कि 24 घंटे में अपराधी को पकड़कर जेल में डाल दिया जाए। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में ‘महिला साइबर क्राइम’ विषय पर आयोजित मासिक विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि सोशल साइट्स, इंटरनेट या नेटबैंकिंग के जरिये जो अपराध होते हैं, उन्हें साइबर क्राइम कहा जाता है। अपराध करने वाले को साइबर क्रिमिनल्स। साइबर क्राइम अनेक प्रकार के हो रहे हैं। जैसे- साइबर स्टाॅकिंग, साइबर स्पाई, साइबर पोर्नाेग्राफी, साइबर बुलिंग आदि। साइबर स्टाॅकिंग में वाट्सअप आदि से जुड़ी महिलाओं का 24 घंटे अपराधी पीछा करते हैं। मौका मिलते ही महिलाओं से हरकतें या बदतमीजियां की जाती हैं। ये सब साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है। साइबर स्पाई में गुप्त कैमरों की मदद से महिलाओं से अपराध किये जाते हैं। माॅल या होटल्स में, बाथरूम में कैमरे लगाकर महिलाओं के गोपनीय फोटो या वीडियो बना ली जाती है। फोटो या वीडियो का गलत इस्तेमाल साइबर पोर्नोग्राफी क्राइम की श्रेणी में आता है। साइबर बुलिंग में अश्लील मैसेज महिलाओं को भेजना है। पुलिस का साइबर सेल इन्हीं अपराधों की रोकथाम के लिए गठित किया गया है। अगर किसी महिला के साथ साइबर अपराध होता है तो महिलाएं मामले को हल्के में लेकर उसे दबाएं नहीं। बल्कि पहले रिपोर्ट दर्ज कराएं फिर अपने घर जाएं। कामकाजी महिलाएं इस बात का ज्यादा ध्यान रखें। कानून में तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। अगर साइबर सेल आसपास न हो तो महिलाएं पुलिस थाने या महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा सकती हैं। याद रखें पीड़ित महिलाएं पुलिस को अपनी शिकायत लिखित में ही करें। साथ में कोई गवाह हो तो बहुत ही अच्छा। मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि पहले राह चलती या घर से निकली महिलाओं के साथ अपराध ज्यादा होते थे लेकिन अब मोबाइल के जरिये ही घर बैठी महिलाओं के साथ अपराध हो रहे हैं। कामकाजी महिलाएं साइबर क्राइम का शिकार ज्यादा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि मित्रवत होना अलग बात है और मित्र होना अलग। इसलिए फेसबुक या वाट्सअप पर किसी अजनबी से बहुत जल्दी मित्रता न करें। जाने-अनजाने भी अपने फोटो या निजी दस्तावेज किसी से शेयर न करें। मोबाइल नंबर देते समय महिलाएं खूब सतर्कता बरतें। याद रखें कि डिजीटल डिवाइस या सोशल मीडिया हमारी सुविधा के लिए हैं। इनके आदी कतई न बनें। महिलाओं से ज्यादा पुरुष सचेत रहें। महिलाओं के लिए इतने सख्त कानून बन चुके हैं कि पुरुष अपराध करने से पहले इनके प्रति सजग रहे। विचार संगोष्ठी में नंदिता झा को डाॅ. गदिया ने प्रतीक चिह्न व शाॅल भेंटकर सम्मानित किया। इस मौके पर मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल समेत अधिक संख्या में मेवाड़ परिवार के सदस्य व विद्यार्थी मौजूद थे। संगोष्ठी का सफल संचालन डाॅ. चेतन आनंद ने किया।