प्रख्यात कवियों ने बताईं नवांकुरों को दोहा विधान की बारीकियाँ

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का ‘दोहा सम्मेलन व तकनीकी सत्र’ आयोजित
– दो दर्जन कवियों ने किया मनमोहक दोहा पाठ
– दोहा प्रतियोगिता के पाँच विजेता हुए पुरस्कृत
– हर प्रतियोगी को मिला प्रमाण पत्र व स्मृति चिह्न
गाजियाबाद। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गाजियाबाद की ओर से गाजियाबाद में पहली बार ‘दोहा सम्मेलन व दोहा तकनीकी सत्र’ कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया। सुप्रसिद्ध कवि डाॅ. कुंअर बेचैन और दोहा सम्मेलन के मुख्य वक्ता वरिष्ठ दोहाकार नरेश शांडिल्य ने तकनीकी सत्र में नवांकुरों व विद्यार्थियों को दोहा विधान की बारीकियों से अवगत कराया। दो दर्जन से अधिक दोहाकारों ने दोहा पाठ कर सम्मेलन को ऐतिहासिक बना दिया। दोहा प्रतियोगिता के पांच विजेताओं को पुरस्कृत किया गया तो सभी प्रतियोगियों को प्रमाण देकर उत्साहित करने का काम भी हुआ।
डाॅ. कुंअर बेचैन व नरेश शांडिल्य ने बाकायदा वाइट बोर्ड पर दोहा विधान को विस्तार से बताया। दोहे की मात्रा गणना, कथ्य, प्रकार, प्रचलन, भाषा-शैली, मात्राओं के क्रम व बरती जाने वाली सावधानियों की गहन बारीकियां बताईं। नरेश शांडिल्य ने कहा कि रचनाकार ये न सोचें कि क्या लिखना है, बल्कि यह सोचें कि क्या नहीं लिखना है। डाॅ. कुंअर बेचैन ने दोहे की मात्राओं के वार्णिक व मात्रिक क्रम को विस्तार से उदाहरण सहित समझाया। लगभग डेढ़ घंटे तक तकनीकी सत्र में दोहे के हर पहलू पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। इसके बाद दोहा सम्मेलन में डाॅ. कुंअर बेचैन, नरेश शांडिल्य, अनिल असीम, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गाजियाबाद की अध्यक्ष मीरा शलभ, ममता लड़ीवाल, मनोज कामदेव, नंदिनी श्रीवास्तव, परिषद की उपाध्यक्ष अंजु जैन, तूलिका सेठ, वंदना कुंअर रायजादा, मयंक राजेश, डाॅ. सतीश वर्द्धन, इंदु शर्मा, परिषद् की कोषाध्यक्ष डाॅ. राखी अग्रवाल, नीरजा चतुर्वेदी, ज्योति, आरती, पारो चैधरी, दिनेश उपाध्याय आदि ने मनमोहक दोहा पाठ किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आरडी स्टील कंपनी के चेयरमैन, प्रमुख समाज-साहित्य सेवी सुभाष गर्ग ने दोहा सम्मेलन को नये प्रयोग का सफल कार्यक्रम बताया। उन्होंने नवांकुरों के लिए इस प्रकार की कार्यशाला निरंतर चलते रहने की बात कही। विशिष्ट अतिथि मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल ने इसे नवांकुरों के लिए बहु उपयोगी, सार्थक व आवश्यक प्रक्रिया वाला कहा। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के संयुक्त महामंत्री प्रवीण आर्य ने दोहा सम्मेलन को पूरे उत्तर प्रदेश ही नहीं देशभर में कराने की बात कही। दोहा प्रतियोगिता में कीर्ति शुक्ला प्रथम, पूजा कुमारी द्वितीय, दीपक तृतीय रहे। मंजु व कौशल को सांत्वना और पूजा, ज्योति व आरती को सराहनीय प्रयास हेतु पुरस्कृत किया गया। उन्हें नकद राशि, ट्राॅफी व प्रमाण पत्र दिये गये। हर प्रतियोगी को प्रमाण पत्र व स्मृति चिह्न प्रदान किया। सभी दोहाकारों व अतिथियों को फूलमाला, शाॅल व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गाजियाबाद के संरक्षक डाॅ. अतुल जैन, बीएल बत्रा अमित्र, डाॅ. तारा गुप्ता, मधुबाला श्रीवास्तव, रोमी माथुर, राकेश सेठ, जगदीश मीणा, चरण शंकर प्रसून, सुधीर माथुर, डाॅ. मोनिका सिंह, बबीता सिंह आदि समेत काफी संख्या में विभिन्न काॅलेजों के विद्यार्थी मौजूद थे। कार्यक्रम का सफल संचालन कवि व पत्रकार डाॅ. चेतन आनंद ने किया। डाॅ. अतुल जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया। अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि डाॅ. कुंअर बेचैन ने की। परिषद् की अध्यक्ष मीरा शलभ ने बताया कि उनकी संस्था हर तीन महीने में हिन्दी साहित्य की हर विधा पर कार्यशाला, प्रतियोगिताएं व काव्य पाठ का आयोजन करने की मुहिम में जुटी है। इसका उद्देश्य नवांकुरों में विधान की परिपक्वता लाना व हिन्दी साहित्य को और अधिक पुष्ट करना है।
दोहा सम्मेलन में पढ़े गये कुछ यादगार दोहे-

सिसक-सिसक गेंहूं कहे, फफक-फफक कर धान।
खेतों में फसलें नहीं, उगने लगे मकान।।
– डाॅ. कुँअर बेचैन

तू पत्थर की ऐंठ है, मैं पानी की लोच।
तेरी अपनी सोच है, मेरी अपनी सोच।।
– नरेश शांडिल्य

दोनों की दुविधा मिटे, दोनों का संत्रास।
पनिहारिन को सौंप दे, पनघट अपनी प्यास।।
– मीरा शलभ

मानो अब प्रत्यक्ष तुम, या फिर इसे परोक्ष।
गंगा से जीवन मिले, गंगा से ही मोक्ष।।
– डाॅ. चेतन आनंद

सुख दुख का ब्यौरा यहीं ,यहीं लिखी तकदीर।
मिटा कौन पाया यहाँ, हाथों खिंची लकीर।
– वंदना कँुअर रायजादा

माया में उलझे सभी, करते उल्टे काम।
क्या साधू क्या मौलवी, सबने खोया नाम।।
– ममता लड़ीवाल

जीवन को पढ़ लीजिए, देकर पूरा ध्यान।
लेना मकसद है नहीं, सिर्फ किताबी ज्ञान।।
– मयंक राजेश

चंचलता के पांव में, आ जाती है मोच।
मन ही मन घबरा रही, मात-पिता की सोच।।
– अंजु जैन

गंगाजल की खो गयी, देखो आज मिठास।
खड़े भगीरथ रो रहे, और दुखी रैदास।।
– डॉ. सतीश वर्द्धन

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