बच्चों की बाजुएं पंक्चर हों तो समझें कि वे ड्रग्स लेते हैं

यशोदा अस्पताल में विश्व एड्स दिवस पर स्कूल-काॅलेज के बच्चों को किया जागरूक
गाजियाबाद। यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में विश्व एड्स दिवस पर आयोजित प्रेस वार्ता में वरिष्ठ एड्स रोग विशेषज्ञ डॉ रूबी बंसल ने बताया कि विश्व एड्स दिवस पूरी दुनिया में हर साल 1 दिसम्बर को लोगों को एड्स (एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूक करने के लिये मनाया जाता है। एड्स ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी (एचआईवी) वायरस के संक्रमण के कारण होने वाला महामारी का रोग है। यह दिन सरकारी संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, नागरिक समाज और अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा एड्स से संबंधित भाषण या सार्वजनिक बैठकों में चर्चा का आयोजन करके मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य लोगों को एड्स बीमारी के नवीनतम उपचार एवं बचाव के बारे में लोगों को जानकारी पहुँचाना है। प्रेस वार्ता में डॉ रूबी बंसल ने एड्स बीमारी के भारत एवं विश्व के नवीनतम आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि पूरे विश्व में ३६.९ मिलियन लोग एचआईवी से प्रभावित हैं, जिसमें से भारत में 21 लाख लोग एचआईवी से प्रभावित हैं। भारत में हुए २०१७ के सर्वे के अनुसार कर्नाटक पहले नम्बर पर रहा। करीब एक लाख इकत्तीस हजार एचआईवी केस के साथ उत्तर प्रदेश पांचवे स्थान पर रहा। डॉ बंसल ने बताया कि इस साल विश्व एड्स दिवस का थीम विषय अपनी स्थिति जानें है, जिसमें हर ऐसे व्यक्ति को जिसने एड्स होने के किसी भी संभावित कारण, जोखिम या खतरे से टकराया हो उसे एड्स का टेस्ट (जांच) कराकर अपना स्टेटस पता कर लेना चाहिए। विश्व एड्स दिवस पर एक हेल्थ टॉक का आयोजन भी किया गया। जिसमें एड्स बीमारी के नवीनतम उपचार एवं बचाव के बारे में जानकारी डॉ रूबी बंसल ने दी। डॉ बंसल ने स्कूली बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के समय में एचआईवी के सम्पूर्ण मरीजों में से पचास प्रतिशत मरीज पंद्रह से पच्चीस साल के उम्र के बच्चे एवं युवा हैं। डॉ रूबी बंसल ने कहा कि एड्स से जुड़ी हुई भ्रांतियों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। एड्स के बारे में समाज में कुछ मिथक भी लोगों के बीच देखे जाते रहे हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि एड्स हाथ मिलाने, गले लगने, सामने छींकने, बिना कटी त्वचा को छूने या एक ही शौचालय के उपयोग करने पर कभी नहीं फैलता है। डॉ. विधि जैन ने बताया कि स्कूल के टीचर्स जैसे बच्चांे के नाखून, यूनिफॉर्म आदि की जांच करते हैं वैसे ही बच्चों की बाजुओं को भी चेक करके देखना चाहिए कि कही पंक्चर (छेद) के निशान तो नहीं, जिससे ये पता चल सके कि बच्चे ने ड्रग्स तो नहीं ली। प्रायः यह देखा गया है कि बच्चे एक ही सिरिंज से ड्रग्स ले लेते हैं जोकि एचआईवी के फैलने का एक बहुत ही खतरनाक एवं मुख्य कारण है। डॉ. विधि ने कहा कि यदि ऐसी कोई इंजरी हो जाए जिसमें एड्स के संक्रमण का खतरा हो तो उस घाव को तुरंत साबुन एवं बहते पानी से अच्छी तरह से धो देना चाहिए, जिससे एचआईवी का वायरस बाहर ही मर जाता है। डॉ रूबी बंसल ने बताया कि एआरटी विधि एवं नवीनतम दवाइयों से अब एड्स के मरीजों के एड्स बीमारी के चलते मृत्युदर न के बराबर रह गयी है। अगर आप में किसी के आसपास कोई एचआईवी पॉजिटिव हो, तो उचित जाँच के साथ दवा का सेवन करें और अपना और अपने साथी का खास ख्याल रखें। एड्स के साथ भी लम्बा जीवन जिया जा सकता है। इस हेल्थ टॉक में मेवाड़ इंस्टिट्यूट, वसुंधरा, सन वैली स्कूल, वैशाली, सेंट मैरी स्कूल, साहिबाबाद के 100 से भी ज्यादा स्कूली बच्चे व् शिक्षक भी मौजूद थे। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी। चुने गए पोस्टरों को प्रदर्शित भी किया गया। इस अवसर पर यशोदा हॉस्पिटल के डॉ. राहुल शुक्ला, श्रीमती राधा राणा, डॉ. सुनील डागर, डॉ. विधि जैन, डॉ. प्रशांत, डॉ विक्रम ग्रोवर, डॉ. अनुज अग्रवाल, डॉ. विकास, गौरव पांडेय, सुरेश वली उपस्थित थे।

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