नांगलोई दिल्ली में कवियों ने खूब जमाया रंग
कविताओं के जरिये दिया समाज को नया संदेश
इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती दिल्ली से सम्बद्ध अखिल भारतीय साहित्य परिषद् न्यास एवं जयभारती साहित्य संगम के संयुक्त तत्वावधान में ताली योगा ग्रुप कुँअर सिंह नगर, नांगलोई में सुप्रसिद्ध छन्द शिल्पी स्व. डाॅ. स्वामी श्यामानंद सरस्वती के 98वें जन्मदिवस पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर ‘विराट कवि सम्मेलन’ का आयोजन अटल बिहारी पार्क पर किया। मुख्य अतिथि पवन मिश्रा ने माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर कवि सम्मेलन का उद्घाटन किया। संचालन राष्ट्रीय कवि-गीतकार डाॅ. जयसिंह आर्य ने किया। अध्यक्षता अन्तर्राष्ट्रीय गीतकार डाॅ. राजेन्द्र राजन ने की। सान्निध्य रहा विख्यात गजलकार देवेन्द्र माँझी का। कवि सम्मेलन का शुभारंभ एटा से पधारे युवा गीतकार सृजन शीतल के मधुर गीत से हुआ। तत्पश्चात सहारनपुर से पधारे अन्तर्राष्ट्रीय गीतकार डाॅ. राजेन्द्र राजन ने जब अपना ये गीत ‘चले आये हैं मदारी मेरे गाँव में’ सुनाया तो श्रोताओं ने करतल ध्वनियों से उनका स्वागत किया। देवेन्द्र माँझी ने अपनी गजलों व दोहों से जनमानस से खूब वाहवाही लूटी। शामली से आये गीतकार पवन कुमार पवन ने बेटियों पर अपने दोहे व गीतों से श्रोताओं के मानस को झकझोर कर रख दिया। गजलकार कर्ण सिंह कर्ण की गजल के इस शेर ‘तेरे दागों की हो खबर तुझको, आईना खुद को भी दिखाया कर’ को श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सुना। गीतकार प्रवीण आर्य द्वारा मस्ती के साथ सुनाये गीत ने वातावरण को भाव विभोर कर दिया। लखनऊ से पधारीं कवयित्री सुमन सुरभि ने श्रोताओं के दिलों दिमाग पर गीत का मधुरिम रंग चढ़ाया। गजलकार राम अवतार बैरवा ने अपनी गजलांे को सुनाकर वातावरण को रसविभोर कर दिया। गाजियाबाद से पधारे सुपरिचित कवि चेतन आनंद द्वारा ‘शहीद’ शीर्षक से सुनाई गई ओजपूर्ण रचना को जयहिंद के जयघोष के साथ सुना गया। सत्यदेव रूहिल द्वारा बेटियों पर सुनाई रचना ने सभी के मन को छू लिया। हास्य व्यंग्य के कवियों इन्द्रप्रसाद अकेला (मुरादनगर), यशदीप कौशिक (फरीदाबाद), देवेन्द्र दीक्षित शूल (सिकन्दराराऊ), दुष्यन्त चतुर्वेदी(लखनऊ) ने अपनी हास्य व्यंग्य कविताओं से व्यवस्था पर तीखे कटाक्ष करते हुए श्रोताओं को हँसा-हँसाकर लोट-पोट कर दिया। अन्त में राष्ट्रीय गीतकार डाॅ. जयसिंह आर्य ने अपने मुक्तक व गीतों से सभी को खूब झुमाया। बेटियों पर सुनाये उनके इस मुक्तक का श्रोताओं ने खड़े होकर तालियों के साथ स्वागत किया। ‘बेटियाँ दिल के पास होती हैं, बेटियाँ सबसे खास होती हैं, ये खिलाती हैं मन के उपवन को, ये कहाँ-कब उदास होती हैं।’ इस अवसर पर सभी कवियों व हिन्दी सेवियों पवन मिश्रा, धर्मपाल भारद्वाज,डा. गोपाल, दीनदयाल यादव, सत्यम कौशिक, कुँअर सिंह (बल्लू), संजय शर्मा, भरत शर्मा, विवेक आर्य व पूनम समोर का अभिनन्दन शाल, पुष्प गुच्छ व प्रतीक चिह्न देकर किया। संस्था के मंत्री बृजेश गर्ग व राकेश मिश्रा ने कवि सम्मेलन की अभूतपूर्व सफलता पर सभी आमंत्रित कवियों व श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।