मेवाड़ में ‘नये संदर्भों में स्त्री अस्मिता की पड़ताल’ विषय पर विचार संगोष्ठी आयोजित
स्त्री के पक्ष में होना पुरुषों के विरुद्ध नहीं-मृदुला शुक्ला
गाजियाबाद। सुपरिचित लेखिका व वुमेन एक्टीविस्ट मृदुला शुक्ला ने कहा कि स्त्री के पक्ष में होना पुरुषों के विरुद्ध नहीं है। महिलाओं को समान अधिकार मिलना चाहिए। समय बदल रहा है। पुरुष समाज अपनी बेटियों के लिए एक नई खूबसूरत दुनिया बनाने की पहल करे। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित मासिक विचार संगोष्ठी में सुश्री शुक्ला ने ये विचार व्यक्त किये। वह ‘नये संदर्भों में स्त्री अस्मिता की पड़ताल’ विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थीं। उन्होंने मीटू, सबरीमाला, विवाहिता पर पति के अधिकार से मुक्ति मामलों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्त्रियों को हमेशा दोयम दर्जे का ही माना जाता रहा है। इसीलिए उसे शूद्रों में स्थान दिया गया। लेकिन महिलाएं अब जागरूक हो रही हैं। वह केवल उपभोग या बाजार की वस्तु नहीं है। औरत की पूरी लड़ाई उसे अपना शरीर अपना मानने की है। इस पर किसी दूसरे का जबरन अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्त्री लैंगिक हिंसा का शिकार न हो इसके लिए उसे आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना होगा। खुशी की बात है कि स्त्रियां आज एकजुट हो रही हैं। वे चाहती हैं कि उन्हें भी पुरुषों के समान समझा जाए। अगर वे ऐसा समझती हैं तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है। उन्होंने इसके बाद हुए सवालों के सही और सटीक जवाब देकर पूरे सत्र को रोचक बना दिया। मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल ने कहा कि जैसा बचपन से लड़के को पाला-पोसा जाता है, उसे जन्मने पर खुशी मनाई जाती है, वैसा ही लड़कियों के समय होना चाहिए। पौरुष दिखाने का माध्यम अब स्त्री न बने, कुछ ऐसे प्रयास करने की आवश्यकता है। किसी कमजोर पर पुरुषत्व का प्रदर्शन गलत है। मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशसं के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि अतीत में जाकर अच्छे भविष्य का निर्माण नहीं किया जा सकता। मगर उससे सबक जरूर सीखा जा सकता है। परिस्थितियां बदल रही हैं। समाज बदल रहा है। हमारी सोच बदल रही है। ऐसे में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना भी बढ़नी चाहिए। आज शिक्षा, समझ, संवेदनशीलता व जागरूकता की जरूरत है। आर्थिक रूप से बच्चियों को स्वावलम्बी बनाएं। महिला शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाए। अगर ऐसा हम करने में कामयाब रहे तो महिलाओं को पुरुषों के बराबर का अधिकार अपने आप ही मिल जाएगा। 
इससे पूर्व डाॅ. गदिया व डाॅ. अलका अग्रवाल ने मृदुला शुक्ला को शाॅल व स्मृति चिह्न देकर संस्थान की ओर से सम्मानित किया। विचार संगोष्ठी का सफल संचालन अमित पाराशर ने किया।
News Reporter

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