प्रतिवर्ष डायरिया की वजह से 272 मिलियन स्कूल डेज का नुकसान

15 अक्टूबर ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे पर विशेष लेख

साबुन से हाथ धोने से डायरिया होने की आशंका 44 प्रतिशत तक कम हो जाती है

यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाजियाबाद के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं समाजसेवी डॉ. पीएन अरोड़ा ने वैश्विक हैंडवॉशिंग (हस्त प्रक्षालन) दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि क्या आपको मालूम है कि आपका बच्चा स्कूल से कई बीमारियां साथ लेकर लौटता है? हमारे हाथ जिन्हें हम अपने शरीर को साफ करने और खाना खाने में इस्तेमाल करते हैं कई मिलियन बैक्टीरिया से घिरे रहते हैं। ये बैक्टीरिया डायरिया, न्यूमोनिया, कॉलेरा और डीसेन्ट्री आदि फैलाते हैं। यूनिसेफ के अनुसार विश्व भर में प्रतिवर्ष डायरिया की वजह से 272 मिलियन स्कूल डेज का नुकसान होता है, लेकिन टॉयलेट के बाद और खाने से पहले साबुन से हाथ धोने से डायरिया होने की आशंका 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। आपके बच्चे के लिए स्कूल एक दिन के लिए मिस करने का मतलब होता है कि वे अपने दोस्तों के साथ खेल, खेल सकते हैं लेकिन इसका एक और मतलब है कि वे अपने क्लास में काफी पिछड़ सकते हैं, क्योंकि वे महत्वपूर्ण लेक्चर्स मिस कर रहे होते हैं। विश्वभर के 40 प्रतिशत बच्चे शिक्षा के लिए अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, इसलिए सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने स्कूल के दिन बीमारी में न गुजारें। डायरिया की बीमारी से हर दिन विश्वभर में बच्चों से भरे 160 क्लासरूम के बराबर का नुकसान होता है, अर्थात हर 15 सेकंड में एक बच्चे का। इसलिए हर स्कूल, माता पिता, छात्र, छात्राएं, स्कूल की आया, सफाईकर्मी यह सुनिश्चित करे कि बच्चे साबुन से हाथ धो रहे हैं, ऐसा करने के 5 महत्वपूर्ण कारण हैं-
1.स्वस्थ बच्चे बीमार बच्चों की तुलना में बेहतर तरीके से समझते हैं।
2.बार-बार डायरिया होने से विकास बाधित हो सकता है।
3.आपको उनकी देखभाल करने के लिए घर पर समय नहीं गुजारना पड़ेगा।
4.वे अपने दोस्तों के साथ टॉयलेट के मुकाबले ज्यादा समय गुजार सकेंगे।
5.इससे उनका जीवन बच सकेगा।

डॉ अरोड़ा ने कहा कि दरअसल, साबुन से हाथ धोने वाले कई लोगों को हाथ धोने के उचित तरीके की जानकारी नहीं होती, इस कारण हाथ धोने के बावजूद कुछ जीवाणु हाथों में शेष रह जाते हैं।

हाथ सही ढंग से धोने का तरीका-
1. हाथों को पानी से भिगोएंँ
2. हाथों पर पर्याप्त साबुन अथवा हैंडवॉश लगाएँ
3. दोनों हाथ रगड़ें
4. दाहिने हाथ को बाएँ से अंगुलियाँ मिलाकर तथा बाएँ हाथ को दाएँ से मिलाकर रगड़ें।
5. हाथों और अंगुलियों की दोनों तरफ अच्छी तरह साफ करें

डॉ अरोड़ा ने कहा कि ‘भारतीय-संस्कृति दुनिया की सबसे समृद्ध संस्कृतियों में है। हड़प्पा-सभ्यता के समय लोग शौचालय तथा स्नानागार का इस्तेमाल करते थे। बाद में यह अभ्यास समाप्त हो गया, लोग खुले में शौच के लिए जाने लगे। महात्मा गाँधी कांग्रेस के कलकत्ता-अधिवेशन के दौरान उस स्थान पर गन्दगी देखकर अत्यन्त दुखी हुए, उन्होंने कैम्प तथा वहाँ स्थित शौचालयों की स्वयं सफाई प्रारम्भ की, यह देखकर दूसरे लोग भी सफाई में शामिल हुए। गाँधी जी ने कहा था, ‘पहले सफाई, फिर स्वाधीनता।’ पण्डित नेहरू, श्री राममनोहर लोहिया तथा श्री अटल बिहारी वाजपेयी ये सभी स्वच्छता के सशक्त पक्षधर थे।’ डॉक्टर अरोड़ा ने प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की प्रशंसा की, उन्होंने ‘स्वच्छ भारत-अभियान’ प्रारम्भ किया और राजधानी दिल्ली में स्वयं झाड़ू से सड़क की सफाई की। वैश्विक हस्त-प्रक्षालन-दिवस आयोजन के लिए डॉ अरोड़ा ने स्कूली बच्चों को बधाई दी और पूरा शरीर साफ रखने की अपील की। उन्होंने यह भी मांग की कि सभी स्कूलों में नैपकिन बनाने एवं प्रयुक्त नैपकिन को जलाने की मशीन होनी चाहिए, विशेषकर बच्चियों के लिए यह आवश्यक है।

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