‘शराब के साथ न लें सिरदर्द की दवा वरना हो जाएगी किडनी खराब’

यशोदा अस्पताल के डाॅक्टर पीबी सिंह ने किया खुलासा

गाजियाबाद। यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी में आयोजित एक प्रेस वार्ता में वरिष्ठ किडनी ट्रांसप्लांट यूरोलॉजिस्ट (गुर्दा रोग प्रत्यारोपण सर्जन) डॉ. पीबी सिंह ने बताया कि आज के जमाने में तनाव दूर करने के लिए शराब के साथ सिरदर्द दूर करने वाली गोलियां खाने का फैशन हो चला है, इसका बुरा प्रभाव लोगों की किडनी पर पड़ा है। एकाएक किडनी रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा होने लगा है। डॉ. सिंह ने बताया कि हाल ही में यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में दो मरीजों का गुर्दा प्रत्यारोपण मात्र इसलिए करना पड़ा कि वे दर्दनिवारक दवाएं बिना चिकित्सकीय सलाह के लम्बे समय तक लेते रहे। इससे उनकी किडनी खराब हो गयी। यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. पीएन अरोड़ा ने मांग की है कि सरकार को तमाम ऐसे पेन किलर्स पर बिना डॉक्टर की सलाह के देने पर रोक लगाई जानी चाहिए। डॉ. पीबी सिंह ने बताया कि किडनी अधिकांश दवाओं को शरीर से बाहर निकालती है। इस प्रक्रिया के दौरान कई दवाइयां या उनके रूपान्तरित पदार्थों से किडनी को नुकसान हो सकता है। हृदय से प्रत्येक मिनट में निकलने वाले खून का पांचवां भाग किडनी में जाता है। कद और वजन के अनुसार पूरे शरीर में सबसे ज्यादा खून किडनी में जाता है। इसी कारण किडनी को नुकसान पहुँचने वाली दवाइयाँ तथा अन्य पदार्थ कम समय में एवं अधिक मात्रा में किडनी में पहुँचते हैं, जिस कारण किडनी को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि किडनी को नुकसान पहुँचाने वाली मुख्य दवाइयों में आइब्यूप्रोफेन, कीटोप्रूफेन, डाइक्लोफेनाक सोडियम, नीमेसुलाइड इत्यादि हैं। डॉ सिंह ने यह राहत की बात कही कि जब दर्दशामक दवाइयों का उपयोग अल्पसमय तक करने से किडनी अचानक खराब हो गई हो, तब उचित उपचार और दर्दशामक दवा बंद करने से किडनी फिर से ठीक हो सकती है। बड़ी उम्र के कई मरीजों को जोड़ों के दर्द के लिए नियमितरूप से, लंबे समय (सालों) तक दर्दशामक दवाइयां लेनी पड़ती हैं। ऐसे कुछ मरीजों की किडनी इस तरह धीरे-धीरे खराब होने लगती है कि फिर से ठीक न हो सके। ऐसे मरीजों को किडनी की सुरक्षा के लिए दर्दशामक दवाइयां डॉक्टर की सलाह और देखरेख में ही लेनी चाहिएं। प्रेस वार्ता में डॉ. कुलदीप सिंह, यूरोजिस्ट एवं गुर्दा प्रत्यारोपण विशेषज्ञ, डॉ अमित गुप्ता, नेफ्रोलॉजिस्ट, डॉ राहुल शुक्ला, क्लीनिकल डायरेक्टर, डॉ अनुज अग्रवाल, डॉ सुनील डागर, गौरव पांडेय, अनुपम आदि मौजूद थे।

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