एबीईएस काॅलेज में गौरी दिवाकर ने मोहक नृत्य मुद्राओं से दर्शकों को बांधा

गाजियाबाद। एबीईएस इंजीनियरिंग काॅलेज में स्पीक मैके अध्याय के अंतर्गत कत्थक नृत्यांगना गौरी दिवाकर ने अपनी प्रतिभा से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। गौरी दिवाकर संगीत नाटक अकादमी- संगीत, नृत्य और नाटक के लिए भारत की राष्ट्रीय अकादमी द्वारा ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों में जयदेव प्रतिभा पुरस्कार (2015) और श्रृंगारमणि पुरस्कार (2002) शामिल है। गौरी दिवाकर ने गणेश वंदना से नृत्य आरंभ किया। रचना ‘गणपति विघ्नहरण गजानन’ पर आधारित थी। वंदना में गौरी ने गणेश के विविध रूपों को हस्तकों और मुद्राओं से दर्शाया। विशेषतौर पर चारी भेद के जरिए मूषक वाहन को दिखाने का उनका अंदाज मोहक था। उन्होंने अगले अंश में तीन ताल में शुद्ध नृत्य पेश किया। गौरी दिवाकर ने शमीउल्लाह खान एवं राकेश गनगानी के तबले और हारमोनियम पर विलंबित लय में नृत्य किया। नृत्यांगना गौरी ने एक से आठ अंकों की तिहाई, थाट, आमद, परण आमद को पेश किया। आमद की प्रस्तुति में फूल व भौरे की गति को हस्तकों से दर्शाया। वहीं दूसरी प्रस्तुति में राधा कृष्ण के भावों को पेश किया। परण आमद ‘धांग-धिकिट-धा’ के बोल पर शिव के रूप में सुंदर अंदाज में चित्रित किया। तीन ताल व मध्य लय में नटवरी और तेज आमद की पेशकश काफी आकर्षक थी। एक से तेरह अंकों की तिहाई में अवरोह के अंदाज तो पैर के काम के जरिए दिखाए। वहीं दूरत लय में 22 चक्कर और गत निकास में घूघंट, मृग, सादी व नजर की गत का प्रयोग मनोरम था। पैर का जानदार काम गौरी ने जुगलबंदी में पेश किया। गौरी दिवाकर ने अपने उत्साही और भावुक प्रदर्शन से दर्शकों को बांधकर रखा। इस मौके पर एबीईएस ईसी संस्थान के सलाहकार रघुनंदन कंसल, निदेशक प्रो. गजेन्द्र सिंह, प्रो. नीरजा जिंदल अध्यक्ष क्लब एवं अन्य शिक्षणगण उपस्थित रहे।

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