मेवाड़ में ‘वर्तमान संदर्भ में गांधीजी के रचनात्मक कार्य’ विषय पर विचार संगोष्ठी आयोजित
गांधीजी मजबूरी नहीं देश की मजबूती हैं-डाॅ. प्रसाद
गाजियाबाद। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ. केडी प्रसाद ने कहा कि हम गांधी को मानें या न मानें लेकिन उनको एकबार जानें ज़रूर। गांधीजी मजबूरी नहीं देश की मजबूती हैं। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित मासिक विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने यह बात कही। वह ‘वर्तमान संदर्भ में गांधीजी के रचनात्मक कार्य’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। 
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने अध्यात्मिक राजनीति की परिकल्पना की थी। अध्यात्म धर्म से जुड़ा होता है। गांधीजी का धर्म से अभिप्राय वैयक्तिक चेतना और समझ से है। इसलिए गांधीजी आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि हम धार्मिक संघर्ष में मानवता को खो रहे हैं। गांधीजी के सोच को आज विकसित करने की आवश्यकता है। हम घर, क्षेत्र, प्रांत में टुकड़ों-टुकड़ों में बंटकर अपने उत्थान पर सोच केन्द्रित किये हुए हैं, जो एकदम ग़लत है। उन्होंने बताया कि गांधीजी नैतिक व सामाजिक उत्थान को अहिंसा मानते थे। इन दोनों के बिना कोरे स्वराज की कल्पना अधूरी है। डाॅ. प्रसाद के अनुसार गांधीजी ने 18 प्रकार के रचनात्मक कार्यों को अपने जीवन में सदा प्राथमिकता दी और लोगों को भी इनका अमल करने की नसीहतें दीं। ये 18 प्रकार के रचनात्मक कार्य हैं- कौमी एकता, अस्पृश्यता निवारण, शराबबंदी, खादी का अधिक प्रयोग, ग्रामोद्योग, गांवों की साफ-सफाई, नई और पुरानी तालीम का सम्मिश्रण, स्त्रियों, किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, श्रमिकों, विद्यार्थियों की ज्यादा से ज्यादा बातंे, राष्ट्रभाषा, प्रांतीय भाषा आदि। उन्होंने कहा कि आज इन रचनात्मक कार्यों पर टिकना वर्तमान सरकार के लिए एक चुनौती है।
मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने महात्मा गांधी व शास्त्री जी के जीवन से जुड़े अनेक प्रसंग सुनाये। उन्होंने बताया कि गांधी जी सम्पन्न परिवार से होने के बावजूद सादा जीवन जिये और आम आदमी की तरह जनता के बीच रहे, इसीलिए उनका आंदोलन जन आंदोलन बना। अंग्रेजों से उन्होंने जनता के बूते स्वाधीनता छीनी। जनता की आवाज बने, तभी गांधी जी राष्ट्रपिता कहलाये। उनके रचनात्मक कार्य आम लोगों के जीवन से जुड़े हैं। उनको अमल में लाना होगा। तभी देश खुशहाल बन सकता है। 
इससे पूर्व डाॅ. गदिया ने विचार संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डाॅ. केडी प्रसाद को शाॅल व स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। इस मौके पर मेवाड़ के तमाम शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं विद्यार्थी मौजूद थे। सफल संचालन अमित पाराशर ने किया।                                           

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