राजनीति में शुचिता के पक्षधर थे गांधी और अटल जी-प्रोफेसर रवीन्द्र
विरोधियों में भी अपनी बात स्थापित करने की कला जानते थे गांधी और अटल जी-डाॅ. गदिया
गाजियाबाद। इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) के पूर्व कुलपति प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार ने कहा कि अटल जी और महात्मा गांधी जीवनभर राजनीति में शुचिता के पक्षधर रहे। दोनों ही मानते थे कि गंतव्य की प्राप्ति और आचरण के बीच में एक आवश्यक अंतर्संबंध है, जिसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। आज के राजनेताओं को अटल जी और गांधी जी के आदर्शों को अपनाना होगा, ताकि राजनीति में शुचिता बनी रहे। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में ‘अटल युग की राजनीति तथा गांधी दर्शन’ विषय पर उन्होंने बतौर मुख्य वक्ता ये विचार व्यक्त किये। सभागार में मौजूद जनसमूह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने साउथ अफ्रीका से गांधी जी का आगमन, गांधी जी की राजनीति, गांधी जी का दार्शनिक पक्ष और अटल जी की गांधीवादी राजनीति व सोच पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अटल जी व गांधी जी में सरलता व गंभीरता एक समान थी। दो मिनट में अपनी बात को कैसे स्थापित कर देना है, यह गुण दोनों जननेताओं के पास मौजूद था। कांग्रेस का संविधान गांधी जी ने 15 दिन में तैयार कर दिया था, जो आज भी हूबहू लागू है। अटल जी और गांधी जी ने जीवनभर महिलाओं व किसानों को सम्मान दिया, जो बहुत बड़ी बात है।
मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि गांधी जी और अटल जी में तीन बातों में समानताएं थीं। पहली, दोनों जन-जन के नेता बने। दूसरी, दोनों में राजनीतिक अस्पृश्यता थी। दोनों ने ही हर वर्ग के नेताओं से एक समान व्यवहार किया और बराबर सम्मान दिया। तीसरी बात, दोनों ही कुशल वक्ता थे। विरोधियों में अपनी बात को स्थापित करने की कला दोनों में थी। जो अब किसी और में मिलना बहुत ही मुश्किल है।
इससे पूर्व डाॅ. गदिया ने इग्नू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार का शाॅल व स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया। इस अवसर पर मेवाड़ परिवार के तमाम सदस्य व विद्यार्थी मौजूद थे। संचालन अमित पाराशर ने किया।