किसी की पलकें भीगीं तो कोई फफक-फफक कर रोया
– नीरज जी मन से लिखने वाले लोगों के मन के कवि थे- डाॅ. कुंअर बेचैन
– समय सापेक्ष और समाज की पथ प्रदर्शक हैं नीरज की रचनाएं- डाॅ. सीता
गाजियाबाद। गीतऋषि गोपाल दास नीरज को याद करके किसी की आंखें, नम हुईं, किसी की पलकें भीगीं तो कोई फफक कर रो दिया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद गाजियाबाद और सम्प्रेषण साहित्यिक संस्था ने मिलकर गीतऋषि पद्मभूषण स्वर्गीय श्री गोपाल दास नीरज जी की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन सिग्नेचर होम्स, राजनगर एक्सटेंशन के क्लब हाउस में किया।
अपनी भावांजलि अर्पित करते हुए महाकवि डाॅ. कुंअर बेचैन ने उन्हें मन का कवि बताया। उन्होंने कहा कि नीरज जी मन से कविता लिखते थे, मन से सुनाया करते थे, इसीलिए उनकी कविताएं लोगों के मन में सीधी पहुंचती थीं। नीरज जी अपनी सम्पूर्णता में हिंदी साहित्य का पूरा इतिहास हैं। वरिष्ठ कवयित्री डा़ॅ. सीता सागर ने कहा कि महत्वपूर्ण बात ये नहीं कि रचनाकार कम लिख रहा है या बहुत अधिक पुस्तकों का रचयिता है, अनिवार्यता इस बात की है कि उसका लेखन समय सापेक्ष होने साथ साथ समाज का पथ प्रदर्शक भी हो। सुप्रतिष्ठित कवि बीके वर्मा शैदी ने कहा कि नीरज जी की कविताओं में एक अलग तरह की लय थी। वह अपनी रचनाओं को मंच पर गाते ही नये अंदाज में थे, इसीलिए उनकी पहचान हिन्दी साहित्य में सबसे अलग बनी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद गाजियाबाद की अध्यक्ष मीरा शलभ ने नीरज जी के अनेक संस्मरण सुनाये। परिषद के सचिव चेतन आनंद ने नीरज जी के अनेक संस्मरण सुनाते हुए उन्हें मानवीय संवेदनाओं का गहन चिंतक व कवि बताया। कोमल भावनाओं का निराला गीतकार की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि नीरज जी के जाने से बच्चन के बाद गीतों का एक युग समाप्त हो गया है। डाॅ. अल्पना सुहासिनी ने नीरज जी के कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि कई बड़े कवियों के समान उनमें भी सादगी, सरलता, सहजता व संवेदनाओं का भाव रहा।
सभा में सम्मिलित हुए लोगों में महाकवि डॉ कुँअर बेचैन, वरिष्ठ कवयित्री डॉ सीता सागर, सुप्रतिष्ठित कवि बीके वर्मा शैदी, गोपाल गुंजन, राधेश्याम सक्सेना, डॉ तारा गुप्ता, विपिन जैन, मीरा शलभ, डॉ अल्पना सुहासिनी, गिरीश सारस्वत, तूलिका सेठ, संजीव शर्मा, भूपेंद्र त्यागी, ब्रिजनंदन पचौरी, तेजवीर सिंह, डॉ आरती बंसल, वंदना कुँअर रायजादा, नंदिनी श्रीवास्तव, बीएल बत्रा अमित्र, अनिमेष शर्मा, मयंक राजेश, रोमी माथुर, अजीत श्रीवास्तव, चेतन आनंद आदि ने नीरज जी के संस्मरण, उनकी कविताएं, गीत, गजल, दोहे, मुक्तक आदि लोगों से साझा कर अपनी भावांजलि दी। दो मिनट का मौन रखकर नीरज जी की पुण्यात्मा की शांति की कामना की गई। श्रद्धांजलि सभा का संचालन चेतन आनंद ने किया।