लेख-ग़ाज़ियाबाद में प्रदूषण

आज ग़ाज़ियाबाद जिस भयानक समस्या से जूझ रहा है वह है प्रदूषण। ग़ाज़ियाबाद में प्रदूषण का स्तर और शहरों की अपेक्षा कहीं ज्यादा है बल्कि यह कहें कि ग़ाज़ियाबाद सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है तो शायद इसमें कोई अतिश्योक्ति न होगी। उत्तर प्रदेश में बनारस के बाद गाजियाबाद सबसे प्रदूषित शहर गिना जाता है। देश की राजधानी दिल्ली विश्व के मानचित्र पर पहली प्रदूषित राजधानी मानी जाती है तो राजधानी से सटे गाजियाबाद को एनसीआर का सबसे प्रदूषित शहर माना गया है। अगर सरकारी आंकड़ों की मानें तो गाजियाबाद में वायु प्रदूषण मानकों से पांच गुना अधिक है। पीएम10 और पीएम2.5 में गुणात्मक बढ़ोत्तरी आंकी गई है। वायु में सल्फर डाई आॅक्साइड की मात्रा काफी अधिक पाई गई है। ग़ाज़ियाबाद में किस वजह से सबसे ज्यादा प्रदूषण है, सर्वप्रथम हमें इस विषय पर विचार करना होगा। इसके पश्चात् हमें यह सोचना है कि इसके निराकरण के क्या उपाय किये जा सकते हैं।
कारण:-
प्रदूषित जल- ग़ाज़ियाबाद में जो हिण्डन नदी बहती है शायद पूरे विश्व में उससे ज्यादा प्रदूषित नदी कोई और नहीं होगी और उसकी वजह कारखानों से निकला हुआ कूड़ा-कचरा, सब उसी में मिलता है। यहाँ तक कि ग़ाज़ियाबाद के सारे ड्रेनेज भी उसी में खुलते हैं। बहुत ज्यादा गन्दगी उसमें मिलती है और उसकी सफाई का कोई पुख्ता इन्तजाम नहीं किया जाता।
जगह-जगह कूड़े के ढ़ेर- ग़ाज़ियाबाद में कूड़े को डम्प करने की कोई समुचित व्यवस्था न होने की वजह से काॅलोनियों और बाजारों में जहाँ भी खाली प्लाट हैं वहीं पर कूड़ा फेंक दिया जाता है और वहाँ कूड़े के ढ़ेर लग जाते हैं। नगर निगम की गाड़ियाँ भी आस-पास के खाली स्थानों पर ही कूड़ा फेंककर चली जाती हैं। वाकई प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन विकराल रूप लेती जा रही है। इस विषय पर अगर गम्भीरता से विचार नहीं किया गया तो यह धरती के सन्तुलन को बिगाड़ देगा और इसका परिणाम इतना भयानक होगा कि मानव जाति भी एक दिन डायनासोर की तरह लुप्त होती नज़र आयेगी।
इस कार्य में आम जनता के साथ-साथ सरकार की भूमिका अहम कही जा सकती है क्योंकि ज्यादा प्रयास सरकार को ही करने की आवश्यकता है। जब तक इसके लिये सख्त कानून नहीं बनाये जायेंगे, भारी दण्ड का प्रावधान नहीं रखा जायेगा, तब तक इसका समाधान नहीं हो पायेगा। नगर निगम को अधिक मुस्तैदी से काम करने की आवश्यकता है। अपनी जिम्मेदारी को प्रत्येक कर्मचारी व आम नागरिक जब समझेगा, तभी इस समस्या से निज़ात पाई जा सकती है।
नगर निगम की खुली गाड़ियाँ- नगर निगम के खुले ट्रक जरूरत से ज्यादा-ज्यादा कूड़ा गाड़ियों में भरते हैं और चलते हुए सारा कूड़ा गाड़ियों से नीचे गिरता है और वहाँ गन्दगी होती है और उससे प्रदूषण फैलता है।
नये निर्माण कार्य- शहर में जगह-जगह इतना भवन निर्माण चल रहा है कि उसकी वजह से भी मिट्टी, रोड़ी, सीमेन्ट सभी के कण हवा में मिलते हैं और वे हवा को प्रदूषित करते हैं। प्राइवेट और सरकारी सभी तरह का निर्माण कार्य अपनी चरम सीमा है। दुनियाभर के फ्लैट्स, दुकानें आदि बन रहे हैं। साथ ही साथ पुलों व सड़कों का भी निर्माण हो रहा है।
फुटपाथ- सड़क के किनारे जो फुटपाथ की जगह छोड़ी जाती है अब वे फुटपाथ नहीं बल्कि सड़क का ही हिस्सा बन गये हैं। उन पर भी गाड़ियाँ फर्राटे से दौड़ती हैं। पैदल चलना तो अब दूभर हो गया है। वे सड़क के किनारे कच्चे है उनमें मिट्टी भरी है और जब गाड़ियाँ उन पर चलती हैं तो वे मिट्टी उड़ाती है और उसकी वजह से प्रदूषण होता है।
फैक्ट्रियों से निकलने वाला वेस्ट, धुआँ और विभिन्न प्रदूषित गैसेस- फैक्ट्रियों से जो वेस्ट निकलता है उन्हें यूँ ही सड़कों पर फंेक दिया जाता है। चिमनियों से निकलने वाला काला धुआँ हवा को प्रदूषित करता है। साथ ही साथ जानलेवा गैसेस भी निकास की उचित व्यवस्था न होने से वे सब हवा में मिलकर भयंकर बीमारियों का कारण बनती हैं।
खुले में शौच- चाहे जानवर हों या मनुष्य, सभी के द्वारा खुले में शौच करने की वजह से बहुत – सा मल व गन्दगी खुले में ही पड़े रहते है जिससे वातावरण दूषित व प्रदूषित होता है।
झुग्गी-झोपड़ियों में से निकलने वाला चूल्हे व अंगीठी का धुआँ- ग़ाज़ियाबाद में झुग्गी झोपड़ी बहुतायत से है यहाँ तक कि बड़ी-बड़ी सोसाइटीज से लगा पूरा स्लंम एरिया बड़ी-बड़ी काॅलोनीज के बीच में खाली प्लाट्स में झुग्गियाँ डाल दी जाती हैं जिसकी वजह से उनमें होने वाली सारी गन्दगी हवा में मिलती है, वह वायु को प्रदूषित करती है।
अस्पतालों से निकली दवाइयाँ, इंजेक्शन व अन्य कैमिकल्स- अस्पतालों से भी बहुत गन्दगी निकलती है, उन्हें भी सड़कों पर ऐसे ही फेंक दिया जाता है। वह भी प्रदूषण का कारण बनती है।
अधिक संख्या में कटते हुए पेड़- गाज़ियाबाद में दिन पर दिन ग्रीन एरिया कम होता चला जा रहा है। पेड़ काटकर उनकी जगह सोसायटी और अन्य कन्स्ट्रक्शन किये जा रहे हैं जिनमें बैंकट हाॅल, मैरिज होम, मन्दिर हैं जिन्होंने शहर की ग्रीन बेल्ट को भी नहीं छोड़ा। जिसकी वजह से हवा दूषित होती जा रही है। बारिश कम हो रही है और प्रदूषण बढ़ रहा है।
अधिक संख्या में गाड़ियाँ- गाज़ियाबाद मंे गाड़ियाँ बहुत ज्यादा हैं और उनमें से निकलने वाला धुआँ और गाड़ियों में लगातार बजने वाले हाॅर्न भी प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ाते हैं।
खुले में और जगह-जगह बनी मीट की दुकानें- काॅलोनियों के बीच में, झुग्गियों में, सड़क के किनारे पर बहुत-सी मीट की दुकानें हैं, जिनकी वजह से भी गन्दगी और प्रदूषण फैलता है।
घरों से निकलने वाला कूड़ा- इस कूड़े को भी लोग खाली जगह देखकर अपने घर के आस-पास ही खुला फंेक देते हैं जिससे बारिश से गीला होकर व हवा से उड़कर वह शहर को प्रदूषित करता है।
सड़कों के किनारे बहने वाले नाले- उन नालों में पानी सड़ता है। वे ऊपर से खुले हैं उनमें लोग कूड़ा फेंकते हैं और वे सड़कर मक्खी-मच्छर पैदा करते हैं, बदबू फैलाते हैं और शहर को प्रदूषित करते हैं।
साप्ताहिक बाजार- शहर में लगने वाले साप्ताहिक बाजारों से भी बहुत गन्दगी होती है और वे प्रदूषण को फैलाती है। सब्जी वाले बची खुची सब्जियों को वहीं फेंक जाते हैं और वे पूरा सप्ताह सड़ती हैं। वहाँ जानवर व चील-कौवे आते हैं जो शहर को दूषित करते हैं।
नगर निगम की लापरवाही- नगर निगम अपना कार्य पूरी चैकसी के साथ नहीं करता, जिसकी वजह से कूड़ा समय पर नहीं उठ पाता और शहर गन्दा रहता है।
पुलिस चैकी व स्टेशनों के बाहर टूटी-फूटी गाड़ियों का जमावड़ा- पुलिस स्टेशनों के बाहर एक्सीडेन्टल इतनी गाड़ियाँ इकट्ठी हो जाती हैं उनमें धूल-धक्कड़ भर जाता है। यहाँ तक कि सड़क भी घिर जाती है। वह भी शहर को बहुत बदसूरत बनाती है।
प्लास्टिक की थैलियाँ व प्लास्टिक का सामान भी प्रदूषण की बहुत बड़ी वजह है।
इस प्रदूषण व गन्दगी से निज़ात पाने के उपाय:-
अगर सरकार, सरकारी अधिकारी, नगर निगम, पुलिस, आम जनता सभी ठान लें और कमर कस लें तो इस परेशानी से आसानी से मुक्ति पाई जा सकती है। जरूरत है हर नागरिक के संवेदनशील होने की, कर्मठ होने की, ईमानदार व अपनी जिम्मेदारी को समझने की। फिर कोई ताकत नहीं कि गाज़ियाबाद को प्रदूषणमुक्त करके विश्व का बेहतरीन शहर बनने से रोक सके लेकिन सभी वर्ग, विभाग और व्यक्ति अगर यह जज्बा मन में पैदा करले और अपने शहर व अपने जीवन के प्रति वफादार रहे, तो यह आसानी से हासिल किया जा सकता है।

उपरोक्त समस्याओं के उपाय इस प्रकार हैं-
1.हिण्डन नदी में सीवर और फैक्ट्रीज का वेस्ट न डाला जाए, समय-समय पर नदी की सफाई की जाए और कुछ प्रोसेस प्लांट लगाये जायें, जिससे पानी को शुद्ध किया जा सके।
2.कूड़े को एक जगह डम्प करने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए और वह शहर से दूर खुले स्थान पर होनी चाहिये। साथ ही साथ नगर निगम की गाड़ियों में कूड़ा डालना चाहिए।
3.नगर निगम की गाड़ियाँ जो कूड़ा लेकर जाती हैं वे खुली न होकर बन्द होनी चाहियें। जिससे वे खुले में सड़क पर न फैलें और सड़कें गन्दी न हो।
4.जहाँ-जहाँ कन्स्ट्रक्शन का कार्य चलता है चाहे वे निर्माणाधीन इमारतों का हो या सड़कों व पुलों का हो, उनसे उड़ने वाले धूल व सीमेन्ट के कण कम से कम हवा में मिलें इसके लिये बड़ी त्रिपालों का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
5.फैक्ट्रियों का पोल्यूशन समुचित चेक होना चाहिये, जिससे कम से कम पोल्यूशन और वेस्ट उनके द्वारा होना चाहिये, लेकिन अगर फिर भी वेस्ट निकलता है तो उसके लिये ट्रीटमेन्ट प्लांट लगाये जाने चाहियें जिससे वेस्ट अलग हो जाये और उससे निकलने वाले पानी व अन्य उपयोगी सामान को पुनः इस्तेमाल किया जा सके।
6.सड़कों के किनारे जो खाली ज़मीन है उसके ऊपर टाइल्स या लकड़ी के पट्टे लगाकर उसे कवर किया जाये या जहाँ पानी की व्यवस्था हो वहाँ पर घास भी लगाई जा सकती है।
7.सार्वजनिक शौचालय ज्यादा से ज्यादा संख्या में बनाए जाएं और उनका प्रबन्धन मजबूत हाथों में दिया जाए जिससे उनका पूर्णतया उपयोग हो सके।
8.झुग्गी-झोपड़ियों को तो सर्वप्रथम सोसायटीज के बीच में नहीं बनने दिया जाना चाहिये। उनकी व्यवस्था कहीं और होनी चाहिये, इसके लिए सरकार या स्थानीय प्रशासन प्रबन्ध कर सकता है।
9.अस्पतालों से निकलने वाला वेस्ट भी सही स्थान पर ही डम्प किया जाना चाहिये, जहाँ से प्रदूषण की सम्भावना न हो।
10.पेड़ों के कटने पर रोक लगाई जानी चाहिये। ग्रीन बेल्ट पर कोई भी अनाधिकृत कब्जा करके उस पर कोई भी कन्स्ट्रक्शन करने वालों को विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिये और आम जनता व सरकार दोनों को ही मिलकर अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहियें।
11.गाड़ियों की सही समय पर प्रदूषण जाँच हो। ऐसा नहीं करने वालों पर पैनल्टी लगाई जानी चाहिये। लोगों को कार पूलिंग सिस्टम के विकल्प को भी अपनाना चाहिये, जिससे सड़क पर कम वाहन चलाकर भी काम चलाया जा सके।
12.खुले में मांस-मच्छी बेचने वालों पर भारी जुर्माना लगाना चाहिये और उन्हें तुरन्त बन्द किया जाना चाहिये।
13.घर के बाहर भी हर वक्त कूड़ा नहीं फेंकना चाहिये। कूड़े को इकट्ठा करके नियत स्थान पर ही फेंका जाना चाहिए।
14.सड़क के किनारे बने नालों की नगर निगम द्वारा सफाई की जानी चाहिये। उन्हें पत्थर के स्लैब से ढका जाना चाहिये, जिससे मक्खी-मच्छर न पैदा होने पायें और सड़क पर चलने वाले लोगों को भी चाहिये कि उसमें कूड़ा-करकट न डालें।
15.साप्ताहिक बाजारों से होने वाले गन्दगी पर रोक लगाने के लिये, इन बाजारों को एक निश्चित जगह एक खाली ग्राउन्ड में ही दी जानी चाहिये। साथ ही उस कूड़े को इकट्ठा करके नगर निगम की गाड़ियों द्वारा डम्पिंग ग्राउन्ड तक पहुँचाना चाहिये।
16.प्लास्टिक की थैलियों व प्लास्टिक के सामान पर पूरी तरह से सरकार की तरफ से रोक होनी चाहिये, इनका इस्तेमाल करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिये। प्लास्टिक जानलेवा है, इसके लिये प्रत्येक जन को जागरूक करना अत्यन्त आवश्यक है।
प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक बैरी काॅमनर ने कहा भी है कि पर्यावरण एक लाइलाज बीमारी है। इसे केवल रोका जा सकता है। इसलिए प्रदूषण को समूल रूप से नष्ट तो नहीं किया जा सकता लेकिन अपनी सूझ-बूझ से रोका जरूर जा सकता है। आइये हमसब मिलकर सबसे तेजी से विकसित होते अपने गाजियाबाद शहर को प्रदूषणमुक्त भी करने का संकल्प लें। अधिक से अधिक श्रमदान कर प्रदूषण को दूर भगाएं।

लेखिका
डाॅ. अलका अग्रवाल
निदेशिका, मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस,
सेक्टर 4सी, वसुंधरा, गाजियाबाद

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