यशोदा अस्पताल में विश्व अस्थमा दिवस पर चिकित्सा शिविर आयोजित

डॉ बृजेश प्रजापत ने 50 लोगों को बताये अस्थमा से बचाव के उपाय
गाजियाबाद। वरिष्ठ श्वांस व एलर्जी विशेषज्ञ डॉ बृजेश प्रजापत ने बताया कि अस्थमा के मरीजों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा बरतनी चाहिए। अस्थमा के मरीजों के लिए बरसात से कहीं ज्यादा खतरनाक होती है, धूल भरी आंधी। वातावरण में मौजूद नमी अस्थमा के मरीजों को कई प्रकार से प्रभवित करती है। बरसात आने के साथ ही अस्थमैटिक्स की मुसीबत भी बढ़ जाती है, ऐसे में उन्हें नमी वाली जगहों पर नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि अस्थमा (दमा) फेफड़ों की एक बीमारी है। इससे सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है, जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुड़न के चलते रोगी को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न, खांसी आदि समस्याएं होने लगती हैं। लक्षणों के आधार अस्थमा के दो प्रकार होते हैं- बाहरी और आंतरिक अस्थमा। बाहरी अस्थमा बाहरी एलर्जन के प्रति एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, जो कि पराग, जानवरों, धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों के कारण होता है। आंतरिक अस्थमा कुछ रासायनिक तत्वों को श्वसन द्वारा शरीर में प्रवेश होने से होता है जैसे कि सिगरेट का धुआं, पेंट वेपर्स आदि।
अस्थमा के प्रमुख कारण
आज के समय में अस्थमा का सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण। कल कारखानों, वाहनों से निकलने वाले धूएं अस्थमा का कारण बन रहे हैं। सर्दी, फ्लू, धूम्रपान, मौसम में बदलाव के कारण भी लोग अस्थमा से ग्रसित हो रहे हैं। कुछ ऐसे एलर्जी वाले फूड्स हैं जिनकी वजह से सांस संबंधी बीमारियां होती हैं। पेट में अम्ल की मात्रा अधिक होने से भी अस्थमा हो सकता है। इसके अलावा दवाइयां, शराब का सेवन और कई बार भावनात्मक तनाव भी अस्थमा का कारण बनते हैं। अत्यधिक व्यायाम से भी दमा रोग हो सकता है। कुछ लोगों में यह समस्या आनुवांशिक होती है।
अस्थमा से बचाव
-अस्थमा में इलाज के साथ बचाव की अवश्यकता ज्यादा होती है। अस्थमा के मरीजों को बारिश और सर्दी से ज्यादा धूल भरी आंधी से बचना चाहिए। बारिश में नमी के बढ़ने से संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए खुद को इन चीजों से बचा कर रखें।
-ज्यादा गर्म और ज्यादा नम वातावरण से बचना चाहिए, क्योंकि इस तरह के वातावरण में मोल्ड स्पोर्स के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। धूल मिट्टी और प्रदूषण से बचें।
-घर से बाहर निकलने पर मास्क साथ रखें। यह प्रदूषण से बचने में मदद करेगा।
-सर्दी के मौसम में धुंध में जानें से बचें। धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों से दूर रहें। घर को डस्ट फ्री बनाएं।
-योग के माध्यम से अस्थमा पर कंट्रोल किया जा सकता है। सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, भुजंगासन जैसे योग अस्थमा में फायदेमंद होते हैं।
-अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो दवाईयां साथ रखें, खासकर इन्हेलर या अन्य वह चीजें जो आपको डॉक्टर द्वारा बताई गई हैं।
-अस्थमा में खुद को सेफ रखने के साथ-साथ दूसरे व्यक्तियों का भी बचाव करें।
-एलर्जी वह जगह और चीजों से दूर रहें। हो सकते तो हमेशा गर्म या गुनगुने पानी का सेवन करें।
क्या खायें, क्या न खायें
-अस्थमा के मरीजों का खानपान भी बेहतर होना चाहिए। अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए। कोल्ड -ड्रिंक, ठंडा पानी और ठंडी प्रकृति वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए। अंडे, मछली और मांस जैसी चीजें अस्थमा में हानिकारक होती है।
-अस्थमा के मरीजो को आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। पालक और गाजर का रस अस्थमा में काफी फायदेमंद होता है। विटामिन ए, सी और ई युक्त खाद्य पदार्थ अस्थमा मरीजों के लिए लाभकारी होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट युक्त फूड के सेवन से रक्त में आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। आहार में लहसुन, अदरक, हल्दी और काली मिर्च को जरूर शामिल करें, यह अस्थमा से लड़ने में मदद करते हैं।
अस्थमा अटैक से बचने के टिप्स
-ज्यादा गर्म और नम वातावरण में मोल्ड स्पोर्स के फैलने की सम्भावना अधिक होती है इसलिए ऐसे वातावरण से बचें। आंधी और तूफान के समय घर से बाहर ना निकलें ।
-अस्थमा को नियंत्रित रखें और अपनी दवाएं हमेशा साथ रखें ।
-अगर आपका बच्चा अस्थमैटिक है, तो उसके दोस्तों व अध्यापक को बता दें कि अटैक की स्थिति में क्या करना है ।
-हो सके तो अपने पास स्कार्फ रखें, जिससे आप हवा के साथ आने वाले पालेन से बच सकें ।
-घर के अंदर किसी प्रकार का धुंआ न फैलने दें।
-अलग-अलग लोगों में दमा के दौरे के कारण भिन्न हो सकते हैं इसलिए सबसे आवश्यक बात यह है कि आप अपनी स्थितियों को समझें।
अस्थमा को काबू में रखने के लिए कुछ सुझाव
1- चिकित्सा सलाह का ध्यानपूर्वक पालन करें। अस्थमा पर नियमित रूप से निगरानी रखने की आवश्यकता है और निर्धारित दवाएं लेकर लक्षणों को काबू में रखने में मदद मिल सकती है।
2- इंफ्लूएंजा और न्यूमोनिया के टीके लगवाने से अस्थमा के दौरे से बचा जा सकता है।
3- उन ट्रिगर्स को पहचानें जो अस्थमा को तेज करते हैं। ये एलर्जी पैदा करने वाले धूलकण और सूक्ष्म जीव तक कुछ भी हो सकते हैं।
4- सांस लेने की गति और अस्थमा के संभावित हमले को पहचानें। इससे आपको समय पर दवा लेने और सावधानी बरतने में सहूलियत होगी।

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