मेवाड़ में ‘ज्ञान यज्ञ-क्या, क्यों और कैसे’ विषय पर विचार संगोष्ठी आयोजित
– समझदारी से होगा हर समस्या का समाधान
– शिक्षा को योग्यतापरक बनायें, न कि रोज़गारपरक
ग़ाज़ियाबाद। सुपरिचित सामाजिक व राजनीतिक चिंतक बजरंग लाल अग्रवाल ने कहा कि आज के दौर में लोग न तो मूर्ख बनें, न ही धूर्त बनें, बल्कि समझदार बनें और समझदारी से मूर्खता और धूर्तता के बीच का रास्ता तलाश करें। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित मासिक विचार संगोष्ठी में उन्होंने ये विचार व्यक्त किये। वह ‘ज्ञान यज्ञ-क्या, क्यों और कैसे’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
बजरंग लाल ने कहा कि शरीफ और धूर्त के बीच ध्रवीकरण हो रहा है। समझदारी निरंतर घट रही है। विपरीत विचारों के लोग अलग-अलग गिरोहों में बंटकर संगठित हो रहे हैं तो विपरीत विचारों के लोग एक साथ बैठकर कभी समस्याओं की न तो चर्चा करते हैं, न ही समाधान सोचते हैं। सुरक्षा और न्याय की परिभाषाएं बदली जा रही हैं। मानवाधिकार के नाम पर अपराधियों को विशेष सुरक्षा दी जा रही है तो कमजोरों व मजबूतों के बीच टकराव बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने इसपर चिंता व्यक्त की और लोगों व विद्यार्थियों से अपील की कि वे समझदारी का इस्तेमाल करें। साल में एक बार कम से कम ज्ञान यज्ञ करें। इसके माध्यम से विभिन्न समस्याओं पर चर्चा कर उनका समाधान खोजने का प्रयास करें।
मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि भारत में परिवार व समाज सबसे ऊपर माना जाता है, विदेशों में व्यक्ति व राज्य सबसे ऊपर गिना जाता है। हम विदेशी फार्मूले को भारत में ले आए हैं। इससे परिवारों व समाज में टूट-फूट हो रही है और व्यक्ति महान बनने लगा है। राज्यवार व्यवस्था भी चरमरा गई है। नतीजा, व्यक्ति धूर्त होने लगा है और चाहता है कि सब मूर्ख बनकर उसके अधीन काम करें। इससे असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई है। इसे समझदारी से ही बदला जा सकता है। इससे पूर्व मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस परिसर में ज्ञान यज्ञ परिवार की ओर से एक यज्ञ का आयोजन किया गया। इसमें इंस्टीट्यूशंस के शिक्षकगण व विद्यार्थी शामिल हुए। बजरंग लाल अग्रवाल को डाॅ. गदिया ने शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया। विचार संगोष्ठी में मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल समेत मेवाड़ परिवार के तमाम सदस्य व विद्यार्थी मौजूद रहे। सफल संचालन अमित पाराशर ने किया।
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