मेवाड़ में ‘जल’ पर संगोष्ठी आयोजित
-बोतल के बजाय छोटे गिलास में पियें पानी
-मिट्टी के घड़े या तांबे के बर्तन का पानी सेहत के लिए अच्छा
गाजियाबाद। जल संकट से पार पाने के लिए लोग प्लास्टिक की बोतल के बजाय छोटे- छोटे गिलास में पानी पियें। सेहत सही रखने के लिए मिट्टी का घड़ा या तांबे का बर्तन ज्यादा मुफीद है। बोतल का पानी स्टेट्स सिंबल नहीं बीमारी की जड़ है। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में जल अधिकार फाउंडेशन की मदद से आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने ये विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में विद्यार्थियों ने हर हाल में पानी बचाने का संकल्प लिया।
वक्ताओं ने कहा कि बोतल प्लास्टिक की होती है और प्लास्टिक गर्म होने के बाद कैमिकल छोड़ता है, जो पानी में घुलता है। इससे विभिन्न घातक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। कैंसर की बीमारी इनमें प्रमुख है। वक्ताओं ने बताया कि पानी को बचायें। इसे व्यर्थ न बहाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि जिस प्रकार घर में एक कूड़ेदान हम रखते हैं, उसी प्रकार एक और खाली कूड़ेदान रखें। इसमें पीने के बाद बचने वाले झूठे पानी को एकत्र करें। ऐसा करने से आपकोे महसूस होगा कि आप कितना पानी व्यर्थ गवां रहे हैं। आप इस तरीके को बार-बार अपनाएंगे तो पाएंगे कि आप पानी व्यर्थ करने के बजाय उसे बचाने लगे हैं। पानी हमेशा कम और छोटे-छोटे गिलास में पियें। इससे आपकी पानी बचाने की आदत पनपेगी। वक्ताओं में जल अधिकार फाउंडेशन के सचिव अवधेश कुमार उपाध्याय, कैलाश कुमार, कोषाध्यक्ष राजकुमार गुप्ता, यमुनापार दिल्ली अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल, मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल आदि थे। संगोष्ठी में काफी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।