साइबर अपराध पर काबू पाने को भारत मिलाये अमेरिका से हाथ-लबुडा

मेवाड़ पहुंचे विदेशी अतिथि वक्ता, साइबर अपराध पर दिया व्याख्यान
गाजियाबाद। ‘भारत में साइबर अपराध के मामले निबटाने के लिए भारत को अमेरिका के साथ मिलकर काम करना होगा। साइबर अपराध को श्रेणीवार व राज्यवार तकसीम करके सम्बंधित राज्य सरकारों को विशेष अधिकार देने होंगे।’ वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में ‘साइबर अपराध’ पर एक अतिथि व्याख्यान में अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय में जज रहे फ्रैंक जे. लबुडा और अमेरिका के वरिष्ठ वकील जॉन आर. केली ने अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में साइबर अपराध के बारे में यह जानकारी मेवाड़ परिवार के सदस्यों व विद्यार्थियों को दी।
फ्रैंक जे. लबुडा ने संयुक्त राज्य अमेरिका में साइबर अपराधों और जॉन आर. केली के बारे में अधिक चर्चा की। उन्होंने अमेरिका और भारत में बढ़ते साइबर अपराध के तुलनात्मक पहलुओं के बारे में चिंता जताई। वे संयुक्त राज्य अमेरिका में कानूनी प्रणाली से संबंधित संघीय और राज्य कानून संरचना के बारे में बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में आम कानून व्यवस्था प्रचलित है। उन्होंने चर्चा की कि संयुक्त राज्य अमेरिका में कागजरहित काम कैसे होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के विपरीत, राज्य के पास अपने कानून हैं और राज्य कानून साइबर अपराध से संबंधित है। संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ राज्य में, साइबर अपराध की सजा प्रकृति में प्रतिपूरक है और कुछ प्रतिपूरक और दंडात्मक भी। उन्होंने साइबर अपराध से संबंधित अनेक केस बताकर उनपर विस्तार से चर्चा की। कंपनी व ग्राहकों के डेटा रिसाव के बारे में उदाहरण सहित अपनी बात को जोरदार तरीके से पेश किया। उन्होंने क्लैपर वी. एम्नेस्टी इंटरनेशनल संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त राज्य अमेरिका के व्ही कारपेंटर केस में बरती गई लापरवाही के कारण दंडात्मक और क्षतिपूर्ति को प्रमुखता से बताया।
इससे पूर्व मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने दोनों विदेशी अतिथि वक्ताओं को गुलदस्ते, शाॅल व स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। भारतीय परम्परा के अनुसार चंदन व रोली का टीका लगाकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर मेवाड़ गु्रप आॅफ इन्स्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल तमाम शिक्षण स्टाफ एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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