आधुनिक चिकित्सा पद्वति से मिल सकती है निजात – 97 हजार बच्चे हैं टाइप-वन डायबिटीज के शिकार नोएडाः डायबिटीज की समस्या बड़ों के अलावा बच्चों में तेजी से बढ़ रही है। देश के दूसरे हिस्सों के अलावा दिल्ली-एनसीआर में भी तेजी से बच्चे टाइप-वन डायबिटीज की गिरफ्त में आ रहे हैं। जहां देश में 97 हजार बच्चे टाइप-वन डायबिटीज के शिकार हैं, वहीं, दिल्ली-एनसीआर में प्रति एक लाख बच्चों में 32 बच्चे टाइप-वन डायबिटीज की चपेट में हैं। चिकित्सकों के मुताबिक अगर जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया जाए तोइस समस्या से निजात पाई जा सकती है। ग्लूको मीटर और इंसुलिन पंप जैसे आधुनिक चिकित्सा के जरिए भी इस रोग पर नियंत्रण पाकर बेहतर जीवन जिया जा सकता है। फोर्टिस एवं अपोलो अस्पताल के बाल रोग एवंएडोलसेंट एंडोक्रिनोलॉजिस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. आईपीएस कोचर ने बताया कि इसबीमारी के कारण अग्नाश्य के प्रतिरक्षक प्रणाली में पैदा होने वाला इंसुलिन उत्पादन कोशिकाओं को खत्म करदेता है, जिसके कारण बच्चों को इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहना पड़ता है।उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में प्रति एकलाख बच्चे में 32 बच्चे टाइप-वन डायबिटीज से पीड़ित हैं, जो चिंताजनक बात है। यह रोग बच्चों में अत्यधिकप्रचलित है, जिसके कारण इसे किशोर मधुमेह कहा जाता है। इस बीमारी का अभी तक कोई वास्तविक कारण का पता नहीं है, लेकिन आमतौर पर माना जाता है कि जब एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा शरीर के विपरीत काम करती है, तो अग्नाश्य में पैदा होने इंसुलिन को यह खत्म करना शुरू कर देती हैं। इन स्थितियों में बच्चे और उनके अभिभावक को चाहिए कि वह खेल गतिविधियों में नियमित हिस्सा लें। ऐसेबीमारी से पीड़ित बच्चों को समाज में बोझ समझा जाता है और मान लिया जाता है कि ऐसे बच्चे दूसरों की तरह सामान्य जीवन कभी नहीं जी सकेंगे। बीमारी के प्रति इस तरह के भ्रम और अज्ञानता के कारण सही इलाज में बाधा उत्पन्न होती है। सक्रिय जीवन पर असरः टाइप-वन डायबिटीज का मतलब है कि सक्रिय जीवन को हमेशा के लिए अलविदा कह देना। पहले विभिन्न इंजेक्शन के डोज के कारण लोगों की दिनचर्या सीमित हो जाती थी, लेकिन आधुनिक चिकित्सा थैरेपी में इंसुलिनपंप वाले ग्लूकोमीटर के जरिए टाइप-वन डायबिटीज से पीड़ित बच्चे व व्यस्क भी सक्रिय जीवन पा सकते हैं।निरंतर ग्लूकोज मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस, इन डिवाइसों में ग्लूकोज के स्तर और अलार्म की वजह से जब भीइंसुलिन की आवश्यकता होती है, उस अस्थिरता को ट्रैक करने में मदद करते हैं।