विश्वविद्यालय अपनी मनमर्जी से अब ऑनलाइन कोर्स नहीं चला सकेंगे। सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा की गुणवत्ता को विश्वसनीय बनाने के लिए इसे देश के सिर्फ 15 फीसद शीर्ष विश्वविद्यालयों में ही चलाने का फैसला लिया है। विश्वविद्यालयों का चयन नैक (राष्ट्रीय मूल्याकंन एवं प्रत्यापन परिषद) की रैंकिंग के आधार पर होगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि इसे लेकर जल्द ही एक नियामक (रेगुलेशन) तैयार किया जाएगा। जावड़ेकर मंगलवार को कैब की 65वीं बैठक के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही देश में मौजूदा समय में जिन विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन कोर्स संचालित हो रहे हैं, उन्हें अपनी रैंकिंग ठीक करने के लिए दो साल का समय मिलेगा। इसके बाद भी यदि उनकी रैंकिंग में सुधार नहीं आया, तो इन कोर्सो को बंद कर दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा को लेकर नियामक का प्रारूप एक महीने के भीतर तैयार हो जाएगा। इसके अलावा ऑनलाइन शिक्षा के जरिये अब डिग्री, डिप्लोमा व सभी तरह के कोर्स संचालित हो सकेंगे। वहीं तकनीकी शिक्षा को इससे अलग रखा गया है। एक सवाल के जवाब में जावड़ेकर ने बताया कैब की बैठक में भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन दर (जीईआर) बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई है। इसे 25 से बढ़ाकर 32 फीसद तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्यों से जल्द ही योजना बनाकर पेश करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि बैठक में राज्यों के साथ उच्च शिक्षा में क्षेत्रीय विभिन्नताओं को खत्म करने को लेकर भी चर्चा हुई है। इस दौरान नए कॉलेज खोलने सहित आनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर चर्चा हुई है। गौरतलब है कि शिक्षा में सुधार को लेकर राज्यों के साथ होने वाले कैब की यह बैठक पिछले दो दिनों से दिल्ली में चल रही है।