मेवाड़ में ’समाज व राष्ट्र निर्माण में एकजुटता एवं अध्यापक शिक्षा-कार्यक्रम में समग्र गुणवत्ता प्रबंधन’ विषय पर नेशनल सेमिनार आयोजित
गाजियाबाद। मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित नेशनल सेमिनार में समाज व राष्ट्र निर्माण में एकजुटता एवं अध्यापक शिक्षा-कार्यक्रम में समग्र गुणवत्ता प्रबंधन विषय पर दो दर्जन शोधपत्र पढे गये। अपने शोधपत्रों में प्रतिभागी वक्ताओं ने बताया कि अर्थपूर्ण शिक्षा विधि अपनाकर शिक्षक कक्षा का वातावरण जीवंत बना सकते हैं। विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति रुचि जगा सकते हैं। शिक्षा द्वारा समाज व देश की मुख्यधारा से विद्यार्थियों को जोड़ सकते हैं।
मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ.अशोक कुमार गदिया ने कहा कि शिक्षकों को भारत में अपनी कक्षा की परिस्थितियों व विद्यार्थियों की क्षमता के अनुरूप अपने माॅडल तैयार करने होंगे। ताकि हम पूरी ईमानदारी के साथ उन्हें पढ़ाकर विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में खड़ा होने का मौका दे सकें। उन्होंने कहा कि स्कूल-काॅलेजों में पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा देने का काम हम केवल एक प्रतिशत करते हैं। सौ में से 70 प्रतिशत विद्यार्थी सही में शिक्षक बन पाते हैं। 80 प्रतिशत विद्यार्थी केवल नौकरी पाने के लिए शिक्षा ग्रहण करते हैं। इससे समाज व देश का विकास नहीं हो सकता। अगर विद्यार्थियों को समाज व देश की मुख्यधारा से जोड़ना है तो उन्हें कौशल विकास आधारित शिक्षा देनी ही होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों को अपने साथ जोड़ें। उनकी रुचियां व अभिरुचियां पहचानें। उन्हें पढ़ाई के प्रति सम्मोहित करें। उनमें पढ़ने की ललक पैदा करें। इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ.अलका अग्रवाल ने सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि एनसीईआरटी एलीमेंटरी एजुकेशन के पूर्व निदेशक प्रोफेसर केके वशिष्ठ ने शिक्षण भागीदारी को आवश्यक बताया। कहा कि यह शिक्षक की भागीदारी पर निर्भर करता है कि वह छात्रों को किस विधि से पढ़ाए। आज इस भागीदारी की मात्रा को बढ़ाना होगा। शिक्षण और प्रशिक्षण को विश्वस्तरीय बनाना होगा। विशिष्ट अतिथि वीएमएलजी काॅलेज गाजियाबाद की प्राचार्या डाॅ. इंद्राणी ने कहा कि शिक्षक ऐसी विधियों का प्रयोग करें जिससे सभी छात्र एक समान सीख सकें। अगर शिक्षण प्रक्रिया प्रभावी होगी तो उसके नतीजे भी प्रभावी निकलेंगे। इससे पूर्व मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. गदिया व निदेशक डाॅ. अलका अग्रवाल के साथ आमंत्रित अतिथियों ने शारदे मां व भारत माता के चित्र के समक्ष दीप जलाया व पुष्प अर्पित किए। मेवाड़ के चेयरमैन डाॅ. गदिया ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न व गुलदस्ते देकर सम्मानित किया। मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस के उपनिदेशक प्रमोद मदैसिया ने शिक्षा को फ्रेंडली एप्रोच बताया। विभागाध्यक्ष डाॅ. गीता रानी ने बताया कि सेमिनार में दिल्ली-एनसीआर के अलावा देशभर से दो दर्जन प्रतिभागी थे। दो तकनीकी सत्रों में पूरा नेशनल सेमिनार आयोजित किया गया। इनमें शिक्षा की विश्वस्तरीय विधियों, कौशल व गुणवत्तायुक्त शिक्षा, शिक्षण-प्रशिक्षण, सीखने की नई पद्धतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। दूसरे सत्र में सवाल-जवाब का दौर चला। इसमें विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने अपनी जिज्ञासा शांत की। इस दौरान ’एडुविजन’ का विमोचन भी हुआ। नेशनल सेमिनार में श्रीराम काॅलेज दिल्ल्ी काॅमर्स विभाग के प्रोफेसर डाॅ. अरविन्द, मेरठ काॅलेज के डाॅ. संजय कुमार, बीटीसी के विभागाध्यक्ष अमित बबरवाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। सभी शोधार्थियों को प्रमाण पत्र दिये गये। संचालन जैना सुशील, हरमीत कौर आदि ने किया।