मेवाड़ में ‘आतंकवाद’ पर मासिक विचार संगोष्ठी आयोजित
जन भागीदारी के बिना आतंकवाद पर काबू पाना नामुमकिन-डाॅ. चित्रा
-भटके हुए कश्मीरी नौजवानों की करनी होगी काउंसलिंग- डाॅ. गदिया 
गाजियाबाद। सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री एवं ऋत फाउंडेशन की अध्यक्ष डाॅ. चित्रा अवस्थी ने दावा किया कि जनता के सहयोग के बिना किसी भी प्रकार से आतंकवाद का समूल नाश नहीं किया जा सकता। उन्होंने पंजाब के आतंकवाद का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर पंजाब में जनता सरकारी मशीनरी का सहयोग नहीं करती तो आतंकवाद को जड़ से खत्म करना नामुमकिन था।
मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के विवेकानंद सभागार में आयोजित मासिक विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी आदर्शवाद का मोहताज नहीं है। इसलिए इसे जड़ से खत्म नहीं कर सकते। यह एक क्षेत्र में खत्म होगा तो दूसरे क्षेत्र में पनपेगा। आतंकवाद की केवल पोशाक बदलती है, वह कभी पूरी तरह से खत्म नहीं होता। नक्सलवाद, तालिबान, लिट्टे आदि ऐसे ही आतंकवाद के चेहरे हैं जिन्हें आजतक समूल रूप से नष्ट नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद बाहर से लाकर हमारे देश में रोपा हुआ पौधा है, जो ड्रग्स व हथियारों की तस्करी से पनपता है। आतंकवाद की फंडिंग का ये दो ही मजबूत जरिया माने जाते हैं। उन्होंने इसके खात्मे के लिए सरकार को काउंटर इको सिस्टम लागू करने का सुझाव दिया।
मेवाड़ ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डाॅ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि संवेदनशीलता की कमी से अव्यवस्था फैलती है। अव्यवस्था गुस्से को जन्म देती है और गुस्सा आतंक का रूप ले लेता है। जो हिंसा की शक्ल अख्तियार करता है। आज हिंसा का व्यापारिक उपयोग हो रहा है। हिंसा या विरोध असहनशीलता और असंवेदनशीलता के कारण उग्र रूप धारण करने लगा है। आतंकवाद न पनपे, इसके लिए संवेदनशीलता का ग्राफ बढ़ाने का काम करना होगा। समाज को संवेदनशील बनाने का काम सरकार करे। आज कश्मीर में कुछ ऐसा ही करने की जरूरत है। 90 प्रतिशत कश्मीरी नौजवान भटके हुए हैं, उनकी निरंतर काउंसलिंग करनी होगी। शिक्षण संस्थानों और शिक्षकों को विशेष रूप से काउंसलिंग जैसी जिम्मेदारी बखूबी निभानी होगी। तभी आतंकवाद को खत्म किया जा सकेगा।
इससे पूर्व डाॅ. गदिया ने मुख्य वक्ता डाॅ. चित्रा अवस्थी को शाॅल व स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। इस मौके पर मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल समेत मेवाड़ परिवार के तमाम सदस्य व विद्यार्थी भारी संख्या में मौजूद थे। सफल संचालन अमित पाराशर ने किया। 
 
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